देवल मुनी के तपोभूमि पर उमड़ रही हजारों की भीड़
देवलास मऊ देवल मुनि की तपोभूमि देवलास पर चल रहे ऐतिहासिक मेले में खजला, चरखी, झूला,जादूघर,थिएटर ब्रेकडांस,ऊनी कपडे, रजाई,गद्दे, गृहस्थी के सामानों आदि की दुकाने दुल्हन जैसी सजी है लोग मंदिर में दर्शन करने के बाद मेले का आनंद ले रहे है।गृहस्थी के सामानों की खूब बिक्री हो रही है।मेला घूम रहे क्षेत्रीय जन अपने गृहस्थी सहित रोजमर्रा की चीजों की खरीदारी भी कर रहे हैं।बताया जाता हैं कि इस ऐतिहासिक मेले मे पुर्व मे हाथी, घोड़े, खच्चर, ऊट आदि की
जागरण संवाददाता, मऊ : देवलास मऊ देवल मुनि की तपोभूमि देवलास पर चल रहे ऐतिहासिक मेले में खजला, चरखी, झूला, जादूघर, थिएटरए ब्रेकडांस, ऊनी कपड़े, रजाई, गद्दे, गृहस्थी के सामानों आदि की दुकानें दुल्हन जैसी सजी हैं। लोग मंदिर में दर्शन करने के बाद मेले का आनंद ले रहे हैं। गृहस्थी के सामानों की खूब बिक्री हो रही है। मेला घूम रहे क्षेत्रीय जन अपने गृहस्थी सहित रोजमर्रा की चीजों की खरीदारी भी कर रहे हैं। बताया जाता हैं कि इस ऐतिहासिक मेले में पूर्व में हाथी, घोड़े, खच्चर, ऊंट आदि की भी बिक्री की जाती थी लेकिन दिन प्रतिदिन शासन-प्रशासन की उपेक्षा के चलते मेले का आकर्षण कमजोर पड़ता जा रहा है। इसकी वजह से घोड़े आदि का मेले मे बिकना बंद हो गया। लोग तीर्थस्थल के अगल-बगल की अपनी जमीनों की घेराबंदी करते जा रहे हैं। राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए मंदिर पर आज श्रीरामचंद्रजी की चरण पादुका आज भी मौजूद है। बताया जाता हैं कि जब श्रीरामचंद्रजी महर्षि विश्वामित्र के साथ ताड़का वध के लिए वन को गए थे तो पहली रात तमसा तट पर इसी स्थान पर विश्राम किया था। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस में भी इसका उल्लेख मिलता है। इसके बगल स्थित हनुमान गढ़ी भी स्थापित है।