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तीन जनपद को जोड़ने वाला मार्ग हुआ बदहाल

तहसील क्षेत्र का 13 किलोमीटर लंबा मधुबन दुबारी-परसिया जयरामगीरी मार्ग जो बलिया और देवरिया जनपद को आपस में जोड़ता है। क्षेत्र के लोगों के आवागमन के ²ष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण इस मार्ग पर यात्रा करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:12 AM (IST)
तीन जनपद को जोड़ने वाला मार्ग हुआ बदहाल

जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : तहसील क्षेत्र का 13 किलोमीटर लंबा मधुबन दुबारी-परसिया जयरामगीरी मार्ग जो बलिया और देवरिया जनपद को आपस में जोड़ता है। क्षेत्र के लोगों के आवागमन के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, मगर इस मार्ग पर यात्रा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। तहसील मुख्यालय से इस मार्ग से 13 किलोमीटर की दूरी तय कर बलिया और देवरिया दोनों जनपदों की सीमा तक पहुंचा जा सकता है। वर्ष 2010 में जब पीएमजीएस योजना के तहत करीब 11 करोड़ की लागत से इस मार्ग का निर्माण हुआ तो लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

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इससे यहां से बलिया या देवरिया जनपद की यात्रा करने वाले लोग दोहरीघाट-बेल्थरारोड मुख्य मार्ग को छोड़ इसी मार्ग से यात्रा करने लगे क्योंकि सड़क भी अच्छी थी और दूरी भी करीब 10 किलोमीटर कम हो गई थी। हालांकि लोगों की यह खुशी मात्र दो ढाई साल तक बरकरार रह सका। मरम्मत और रखरखाव के अभाव में सड़क गड्ढों में तब्दील होती गई। आज इस सड़क की यह दशा है कि सड़क में गड्ढे हैं या कि गड्ढों में ही पूरी सड़क है कहना मुश्किल है। 13 किलोमीटर लंबे इस मार्ग का शायद ही कोई ऐसा भाग शेष हो जो गड्ढामुक्त हो। अब तो धीरे-धीरे लोगों ने इस पर यात्रा करना भी कम कर दिया है। क्योंकि इस मार्ग पर यात्रा करना जान जोखिम में डालने जैसा है। हालांकि 2010 से अब तक कई बार पैबंद के सहारे कभी गड्ढों में ईंट के टुकड़े, कभी मिट्टी तो कभी हल्की पीचिग के सहारे सड़क की दशा सुधारने का प्रयास लोक निर्माण द्वारा किया गया लेकिन यह प्रयास लोगों को स्थाई राहत देने में नाकाम साबित होता रहा है। कुछ माह के बाद ही सड़क की वही हालत हो गई जो मरम्मत के पहले थी।

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आंदोलन भी नही आया काम मधुबन- सड़क के दुबारा नए सिरे से निर्माण की मांग को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं के साथ ही ग्रामीणों ने कई बार मांग की। धरना प्रदर्शन, चक्का जाम, यहां तक कि मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत की। लेकिन सभी प्रयास विफल साबित हुए। जब भी कभी लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाता धरना स्थल पर पहुंचा सक्षम अधिकारी जल्द से जल्द सड़क निर्माण का आश्वासन देकर धरना समाप्त करा देता है और फिर लोगों को उसी दशा में सड़क पर यात्रा करने के लिए छोड़ जाता है। और फिर रात गयी, बात गयी की तर्ज पर सब चुप । पूर्व सांसद भी रहे लाचार

सबसे दु:खद पहलू यह रहा कि 2014 से 2019 तक इस क्षेत्र से सांसद रहे भाजपा के हरिनारायण राजभर के गांव जाने वाला यह मार्ग अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता रहा । अपने पांच साल के कार्यकाल में सांसद महोदय खुद अपने पैतृक गावं को जाने वाले मार्ग की दशा नहीं सुधार पाए जो लोगों के चर्चा का विषय बना रहा। पाँच साल तक ही थी सड़क की मियाद 2010 में बनी इस सड़क को वैसे तो पांच साल तक चलने का दावा किया गया था। इसके लिये कार्यदाई संस्था द्वारा स्थानीय दुबारी मोड़ पर एक बोर्ड लगा कर उस पर इस बात को अंकित भी किया गया था, लेकिन पांच साल तो दूर मात्र दो साल में ही सड़क की क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद सड़क की निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे । अब तो सड़क बने नौ साल से ऊपर का समय बीत गया, ऐसे में नये सिरे से सड़क बनने के आस लगाए मतदाता व करदाता टकटकी लगाए बैठे हैं।

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डिप्टी सीएम का आश्वासन से भी राहत नहीं

मधुबन- स्थानीय विधानसभा क्षेत्र के गोंठा में बीते वर्ष 2018 के नवंबर माह में एक कार्यक्रम में आए प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान की मांग पर मधुबन से सुग्गीचौरी और मधुबन से दुबारी परसिया जयरामगीरी मार्ग के निर्माण का आश्वासन दिया था। इसमें सुग्गीचौरी मार्ग के लिए बीते मार्च माह में धन आवंटित हो गया। जिसका निर्माण भी प्रारंभ हो गया। लेकिन दुबारी परसिया जयरामगीरी मार्ग के निर्माण की कौन कहे मरम्मत की नौबत भी नहीं दिखाई पड़ रहा है।


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