रोडवेज में बसों की संख्या वही, कई गुना बढ़े यात्री
दुर्दशा .. सबहेड मांगलिक आयोजनों ने और बढ़ा दी सफर की मुश्किल लोग घंटों हो रहे परेश्
दुर्दशा ..
सबहेड : मांगलिक आयोजनों ने और बढ़ा दी सफर की मुश्किल, लोग घंटों हो रहे परेशान - पैसेंजर ट्रेनों के न चलने से रोडवेज बसों पर टूट रही भीड़
- शारीरिक दूरी बनाए रखने के नियमों की खुलेआम उड़ रहीं धज्जियां जागरण संवाददाता, मऊ : वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 वायरस के प्रकोप के चलते आस-पास के महानगरों को जोड़ने वाली पैसेंजर ट्रेनों का संचालन ठप है। मांगलिक आयोजनों की शुरूआत के बाद सफर कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने की कवायद तेज हो गई है। बड़ी बात यह है कि रोडवेज की बसों पर यात्रियों का दबाव तो कई गुना बढ़ा है, लेकिन बसों की संख्या लगभग वही है। इससे कोरोना वायरस को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों का कहीं कोई अनुपालन नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि बसों में बैठने के लिए एक-दूसरे का शरीर रगड़ने पर मजबूर हैं।
शहर के बस स्टेशन से वाराणसी-गोरखपुर रूट पर जाना हो या बलिया-आजमगढ़ मार्ग पर, हर तरफ यात्रियों का दबाव बढ़ गया है। रोडवेज प्रबंधन की ओर से यात्रियों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन भीड़ बढ़ते ही सारा प्रयास धराशायी हो जा रहा है। वाराणसी मऊ डीएमयू, तमसा पैसेंजर, भटनी पैसेंजर आदि ट्रेनों के चलने पर रोडवेज पर छोटी दूरियों के लिए भीड़ नहीं उमड़ती थी, लेकिन अब तक इन ट्रेनों के न चलने से यात्रियों का दबाव रोडवेज की बसों पर ही बना हुआ है। वाराणसी व गोरखपुर की ओर जाने वाली बसों के आते ही यात्री उनमें बैठने के लिए मारामारी कर ले रहे हैं। बसों में चढ़ने की तेजी का आलम यह है कि किसी का बैग गिर रहा है तो किसी के हाथ से छूटकर मोबाइल गिर और टूट रहा है।
शारीरिक दूरी बनाने के लिए बार-बार लाउडस्पीकर से घोषणा की जा रही है। बसों में जगह लेने और बैठने को लेकर यात्री धैर्य खो दे रहें तो समस्या हो रही है। रोडवेज के परिचालक पूरी कोशिश कर रहे हैं की शारीरिक दूरी के नियम का अनुपालन हो, लेकिन भीड़ बढ़ने पर समस्या आ जा रही है। - विवेकानंद त्रिपाठी, एआरएम, मऊ डिपो।