शौचालय की जांच को धमकीं तीन और केंद्रीय टीमें
मोदी मिशन में अनियमितता बरतने वालों की अब खैर नहीं। प्रशासन द्वारा गांवों में बनाए गए स्वच्छ शौचालयों की जांच का जिम्मा खुद केंद्र सरकार ने संभाल लिया है।
जागरण संवाददाता, मऊ : मोदी मिशन में अनियमितता बरतने वालों की अब खैर नहीं। प्रशासन द्वारा गांवों में बनाए गए स्वच्छ शौचालयों की जांच का जिम्मा खुद केंद्र सरकार ने संभाल लिया है। चार दिन पूर्व से ही केंद्र सरकार की एजेंसी क्यूसीआइ यानि क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया ने फतहपुर मंडाव ब्लाक में डेरा डाल रखा है। लगभग एक दर्जन गांवों में टीम ने एक-एक घर में जाकर निर्मित शौचालयों की गुणवत्ता जांची तथा गांव की स्वच्छता का हाल जाना। लगातार जांच टीम गांवों से मिले फिडबैक को केंद्र सरकार से साझा कर रही है।
हालांकि यह पूर्ण रूप से केंद्र सरकार की गोपनीय जांच है। टीम की रिपोर्ट में अगर शौचालयों की गुणवत्ता सहित स्वच्छता ठीक मिली तो ही जनपद को ओडीएफ मानते हुए अंक दिए जाएंगे। अगर रिजल्ट विपरीत रहा तो अधिकारियों सहित कर्मचारियों, ग्राम प्रधानों पर गाज गिर सकती है। चार दिन से लगातार एक ही ब्लाक फतहपुर मंडाव के गांव खंगाले ही जा रहे थे कि इसी बीच गुरुवार को तीन और टीमें धमक गईं। क्यूसीआइ तय करेगी जनपद का भविष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन को अन्य योजनाओं की तरह लेना प्रशासन सहित ग्राम पंचायतों को भारी पड़ सकता है। जनपद को ओडीएफ कराने की जद्दोजहद में गांवों में धड़ाधड़ शौचालयों का निर्माण चल रहा है। प्रशासन को इतनी फुर्सत ही नहीं है कि वह निर्माण कार्य की गुणवत्ता का सत्यापन भी करा पाए। दो अक्टूबर से पूर्व 30 सितंबर को जिला प्रशासन जनपद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर देगा। टीम की रिपोर्ट के आधार पर जहां जनपद को ओडीएफ तय होगा वहीं जिले को अंक भी मिलेगा।
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केंद्रीय टीम के निशाने पर कई और गांव
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : विकास खंड फतहपुर मंडाव में विगत चार दिन से केंद्रीय टीम द्वारा गांवों में बन रहे शौचालय के गुणवत्ता का सत्यापन किया जा रहा है। इसमें 30 फीसद से अधिक पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले शौचालय का निर्माण देख टीम जहां हतप्रभ है, वहीं शौचालय के सत्यापन से प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी में अफरा-तफरी मची हुई है।
फतहपुर मंडाव विकास खंड क्षेत्र इस समय शौचालय निर्माण के मामले में पूरे जनपद में फिसड्डी साबित हो रहा है। शौचालय निर्माण की गति को देखकर दो अक्टूबर के पहले ग्राम पंचायतों को धरातल पर ओडीएफ करना असंभव प्रतीत हो रहा है। ऐसे में प्रशासन के दबाव के चलते समय पर गांवों को ओडीएफ करने के लिए प्रधान व सचिव ने पुराने सेफ्टीटैंक वाले शौचालय पर भी इज्जतघर लिखवाकर शौचालय निर्माण की कोरम पूर्ति कर रहे हैं। आपाधापी के चलते सेनेटरी सीट भी मानक के विपरीत लगाए जा रहे हैं जो जल संचयन के ²ष्टिकोण से पूरी तरह मानक के विपरीत है।