युवाओं के लिए प्रेरणस्त्रोत हैं विवेकानंद के विचार
स्वामी विवेका नंद जी के विचार आज भी युवाओं के लिए प्रासंगिक है उन्हों ने अल्प आयु में ही 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपने ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात दो तीन घंटे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने शरीर को शांत कर लिए। बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी।
जागरण संवाददाता, मऊ : स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी युवाओं के लिए प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन अल्पायु में ही चार जुलाई 1902 को भी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला, प्रात: दो से तीन घंटे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने शरीर को शांत कर लिया। बेलूर में गंगा तट पर चंदन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गई। ये बातें गुरुवार को भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित स्वामीजी की पुण्यतिथि अवसर पर प्रांतीय पदाधिकारी डा. अलका राय ने कही।
उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने महिलाओं के लिए भी कहा था कि एक पुरुष शिक्षित होकर एक परिवार को शिक्षित करता है। एक महिला शिक्षित होकर एक पीढ़ी व दो परिवारों को शिक्षित करती है। रवीश तिवारी ने कहा कि उनके द्वारा दिया गया मंत्र'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए'आज भी युवाओं को अनुप्राणित करता है। इस दौरान प्रकाश जैन, मधु राय, वर्तिका सिंह, प्रियंका राय, श्वेता, संगीता, रोशन, शशांक, वरुण, शुष्मा आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डा. एसएन राय ने किया।