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अनाथ बच्चों के नाथ बने हैं बाल सुधार गृह

जागरण संवाददाता मऊ बेसहारा व अनाथ बच्चों के लिए जनपद में स्थापित बाल सुधार गृह नाथ का काय

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 09:54 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:54 PM (IST)
अनाथ बच्चों के नाथ बने हैं बाल सुधार गृह
अनाथ बच्चों के नाथ बने हैं बाल सुधार गृह

जागरण संवाददाता, मऊ : बेसहारा व अनाथ बच्चों के लिए जनपद में स्थापित बाल सुधार गृह नाथ का कार्य कर रहे हैं। यहां बच्चों को परिवार जैसा माहौल मिल रहा है वहीं इनकी भरपूर देखरेख की जा रही है। खेल कूद व खाने-पीने की सारी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इनके देखरेख के लिए दर्जनों स्टाफ भी तैनात हैं। विभागीय अधिकारी समय-समय पर इन बाल गृहों का औचक निरीक्षण भी करते हैं। कुल मिलाकर जनपद में दोनों बाल सुधार गृह में कुल 133 बच्चे रह रहे हैं।

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कोरोना की दूसरी लहर जनमानस पर कहर बनकर टूटी है। इसका नतीजा रहा कि किसी के सिर से माता-पिता का साया उठ गया तो किसी के संरक्षक की असमय मौत हो गई। ऐसे में इन परिवारों के बच्चे जहां अनाथ हो गए वहीं इनक परवरिश का भी संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में सरकार ने इस तरह से प्रभावित बच्चों के भरण पोषण, चिकित्सा, शिक्षा आदि की जिम्मेदारी ली हैं। जागरण ने जनपद के दोनों बाल सुधार गृहों की पड़ताल की तो सच्चाई सामने देखने को मिली। शिशु बाल गृह मुहम्मदाबाद गोहना में शून्य से लेकर 10 साल के कुल 26 बच्चे रखे गए हैं। इसमें से पांच बच्चे अभी सालभर से नीचे के हैं। इन्हें दूध पिलाया जाता है। इसके अलावा बड़े बच्चों को प्रतिदिन दाल, चावल, सब्जी व रोटी दी जाती है। सप्ताह में एक दिन मछली व चिकन की भी व्यवस्था की गई है। यानी जिस प्रकार से परिवार में भोजन मिलता है, उसी प्रकार यहां मिल रहा है। छोटे बच्चों के लिए दूध जांच परखकर लाया जाता है। सभी बच्चों की देखरेख के लिए कुल चौदह कर्मचारी तैनात किए गए हैं। यहां के प्रबंधक शेखर तिवारी हैं।

इसी प्रकार परदहां मिल रोड स्थित राजकीय संप्रेक्षण गृह में आइपीसी की धाराओं वाले करीब 108 बच्चे रखे गए हैं। यहां भी बच्चों के खाने-पीने व रहने की सारी व्यवस्था चाक चौबंद हैं। कुल मिलाकर अनाथ बच्चों के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। कोरोना में अनाथ बच्चों को भी मुहम्मदाबाद शिशु गृह भेजा जाएगा।

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अनाथ बच्चों के लिए विभाग पूरी तरह से जिम्मेदारी के साथ कार्य कर रहा है। मैं खुद बार-बार भोजन व अन्य सामग्री की आकस्मिक जांच करता रहता हूं। ताकि बच्चों को कोई परेशानी न हो। यही नहीं संबंधित संस्था को भी अल्टीमेटम दिया जाता है कि इन्हें गुणवत्तापूर्ण सामग्री मिलनी चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई की जाती है।

-समर बहादुर सरोज, जिला प्रोबेशन अधिकारी।


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