सरकार के प्रयास से टेक्सटाइल्स उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना से यहा के साड़ी निर्माता ही न
जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना से यहा के साड़ी निर्माता ही नहीं बल्कि जिला उद्योग विभाग ही नहीं पावरलूम सर्विस सेंटर के लोग भी बेहद उत्साहित हैं। आम बुनकर मजदूरों में उक्त योजना को लेकर उम्मीदें बलवती है। जिले के उद्योग आयुक्त राजेश रोमन का कहना है कि प्रदेश सरकार सही मायने हुनरमंदों एवं हस्तशिल्पियों का विकास करना चाहती है। इसी के परिपेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पिछले दिनों प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आगमन हुआ था। उन्होंने योगी सरकार की मंशा को फलीभूत करने के लिए 'वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट' (ओडीओपी) समिट का शुभारंभ किया। इस दौरान मऊ के भी 30 बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों को प्रमाण बाटे गए। इस मौके पर व्यापारियों को 1,006 करोड़ रुपये का ऋण भी वितरित किया गया। उद्योग आयुक्त के अनुसार यहा टेक्सटाइल्स की 61 यूनिटें हैं जो बड़े कार्य करते है। यहा पर अभी डाइंग प्लाट पर बड़ा कार्य करना है। अभी जनपद में जो जरी व डाइंग की जो यूनिटें हैं उनका वार्षिक टर्न ओवर 180 करोड़ है। उधर पावरलूम सर्विस सेंटर के अशोक कुमार कहते है कि पावरलूम क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए पहले की सरकार द्वारा जो कपड़ा पैकेज बनाया गया था। उसमें साड़ी उद्योग को क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाकर तथा बुनकरों एवं सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने की बात कही गई थी किंतु मामला आगे नहीं बढ़ सका। उधर जिला उद्योग केंद्र के सहायक प्रबंधक अशोक उपाध्याय कहते हैं कि पावरलूम उद्योग को संवारने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना भी कारगर हो सकता है। विभाग ने यहा के टैक्सटाइल्स उद्योग को नई दिशा देने के लिए तथा आम बुनकरों को भी योजना से जोड़ने के लिए 60 करोड़ की लागत से यहा फैसिलिटी सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। इस योजना में लूम लगाने के लिए कोई बुनकर 1 लाख 60 हजार का लोन ले सकता है। इसमें उसे 25 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाएगा। जनपद में भी कई उद्यमी दे रहे हैं टैक्सटाइल्स उद्योग को बढ़ावा
जिस दिन लखनऊ के इंदिरा गाधी प्रतिष्ठान में 'वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट' समिट का कार्यक्रम चल रहा था उस दिन यहा के उद्यमी प्रमोद थरड, आनंद सिंह, राधिका थरड व फिरोज अख्तर भी लखनऊ गए थे। वहा उन्हे कारोबार को चमकाने के एवज में पुरस्कृत किया गया। साड़ी व्यवसायी फिरोज अख्तर का कहना है कि 'वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट' के तहत सरकार ने जो योजना बनाई है। उसको इमानदारी पूर्वक लागू किया गया गया तो जिले का साड़ी उद्योग चमक सकता है। उनका कहना है कि सरकार वास्तव में परंपरागत कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। गौरतलब है कि यहा के व्यापारी प्रमोद थरड का भी जरी का कारोबार है। यही नहीं आनंद व राधिका भी जरी के क्षेत्र में अपन किस्मत अजमा रहे हैं। जिले में अन्य चार ऐसे जरी व डाइंग के कारोबारी हैं जिनका व्यवसाय भी सौ करोड़ तक है। इन लोगों का कहना है कि 'वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट' लागू होने के बाद वे अपने कारोबार को और समृद्ध करने की सोच रहे हैं। वैसे जनपद में वन जिला वन प्रोडक्ट के बाबत जिले में जिलाधिकारी के नेृत्व में अभी कमेटी नहीं बन पाई है किंतु कहा जा रहा है कि इस बाबत जैसे ही शासन से कोई निर्देश मिलेगा तुरंत कार्य शुरू कर दिया जाएगा। परिश्रम और पुरुषार्थ के सहारे बढ़ाया करोबार
नगर निवासी मुहम्मद दानिश फराज कहते हैं कि उन्होंने एमए की पढ़ाई करके अध्यापकी की नौकरी के लिए बीएड किया। किंतु उसे नौकरी नहीं मिली। इसके बाद अपने परंपरागत व्यवसाय पावरलूम क्षेत्र में किस्मत अजमाने का फैसला किया। कम्प्यूटर से साड़ी की डिजाइन बनाने का काम शुरू किया। इसमें प्रदेश सरकार के कपड़ा पैकेज के अनुसार लोगों को नई-नई डिजाइन बनाकर दिखाया। इससे लोग काफी प्रभावित हुए। कई लोगों को हमारी डिजाइन पंसद आई और उसके अनुसार लोगों ने जकाट पर पत्ता काटकर अपनी साड़ियों को नया लुक दिया। इससे उनकी साड़िया उत्तर प्रदेश के ही मेरठ व सहारनपुर तथा नोएडा में पसंद की जाने लगी।