Mau News: अनदेखी से सिसक रहा साड़ी व कपड़ा कारोबार, कभी देश-विदेशों में था डंका; 2005 के दंगे ने भी तोड़ दी कमर
मुगलकाल से पुश्तैनी हुनर बन चुके कपड़ा व साड़ी कारोबार का मऊ की आर्थिक अर्थव्यवस्था में 60 प्रतिशत योगदान है। बावजूद इसके अत्याधुनिक मशीनों के अभाव में यह कारोबार दम तोड़ रहा है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हुनर में आनुवंशिक रूप से यहां के लोग बुनकरी में अव्वल हैं। यही कारण है कि मऊ की साड़ियों ने काफी दिनों तक देश-विदेश में अपना डंका बजाया। 2005 के दंगे ने...