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केंद्र पर खड़ी हैं धान लदी ट्रालियां, पोर्टल बंद

केंद्र पर खड़ी हैं धान लदी ट्रालियां पोर्टल बंद

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 06:18 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 06:18 PM (IST)
केंद्र पर खड़ी हैं धान लदी ट्रालियां, पोर्टल बंद

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : सहकारिता विभाग के शासकीय क्रय केंद्रों पर धान लदी ट्रालियां खड़ी हैं। 24 जनवरी से बंद खरीद पोर्टल के खुलने की आस में किसान दिनरात केंद्र पर रखवाली कर रहे हैं। उधर धान बेचने के बाद किसानों के मोबाइल पर मूल्य भुगतान का संदेश तो आया पर डेढ़ माह बाद भी भुगतान न मिल सका है। यह हाल तब है जब जिले में मात्र 35 फीसदी ही धान खरीद हो सकी है। प्रारंभ से ही धान खरीद के प्रति शासन के नकारात्मक रूख के चलते अब किसानों की उम्मीद दम तोड़ रही है।

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इस वर्ष शासन ने किसानों के पंजीकरण से लेकर क्रय केंद्रों से मिल तक धान के परिवहन एवं भुगतान की व्यवस्था भी बदल दिया है। धान बेचने के इच्छुक किसानों ने किसी तरह से पंजीकरण कराया। अनिवार्य पंजीकरण व्यवस्था में परिवर्तन यह हो गया कि कंप्यूटर एक खतौनी और एक गाटा संख्या के किसी एक खातेदार का ही पंजीकरण स्वीकार किया। अलग-अलग रह रहे ऐसे किसान जिनकी खतौनी संयुक्त थी, इस नियम के चलते धान न बेच सके। ऐसे किसानों ने कम दाम पर बाजार में धान बेचा। भुगतान अब पीएफएमएस विधि से होने के चलते खतौनी, आधार कार्ड एवं बैंक पास बुक में किसानों के अंकित नाम में अंतर होने के चलते भी कुछ किसान क्रय केंद्र से दूर रहे। इन तमाम बाधाओं को पार करने के बाद किसी तरह केंद्र पर पहुंचे तो कभी बोरे की किल्लत तो कभी गोदाम में स्थान न होने के चलते केंद्र प्रभारी ने ठेंगा दिखा दिया। इस बीच सितंबर एवं दिसंबर माह में इंद्रदेव मेहरबान हुए तो शासन के मानक पर तमाम किसानों का धान खरा न उतर सका और खरीद बाधित हुई। नियमों के मकड़जाल से बचने को कुछ किसानों ने खुले बाजार में धान बेचने को प्राथमिकता दिया। एक अन्य नियम यह कि धान भले ही केंद्र पर बेच दिया पर जब तक उक्त धान राइस मिल नहीं पहुंचेगा, और पोर्टल पर फीड नहीं होगा, उसके भुगतान की प्रकिया प्रारंभ न होगी।

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ताड़ से गिरे खजूर पर अटके

बहरहाल यह सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद विभाग ने किसानों के मोबाइल पर शीघ्र ही उसके बैंक खाते में भुगतान किए जाने का संदेश दिया। यह संदेश तो आया पर डेढ़ माह बाद भी खाते में धनराशि न पहुंच सकी। इस बीच जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में अचानक पोर्टल बंद हो जाने से क्रय केंद्र प्रभारियों ने किसानों का धान क्रय करने से मना कर दिया। कई स्थानों पर किसानों ने हंगामा भी किया। प्रशासन ने ऐसे किसानों को वेबसाइट खुलते ही खरीद का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के चलते किसान ट्रालियों में धान लेकर केंद्र तक पहुंच गए। अभी तक खरीद पोर्टल न खुलने के चलते केंद्र प्रभारी हाथ खड़ा कर दिए हैं। सबसे बड़ी एक अन्य समस्या यह कि तमाम किसानों ने धान तो बेच दिया है और पावती उनके हाथ में है पर वेबसाइट बंद हो जाने के चलते खरीद का आंकड़ा फीड न हो सका है। ऐसे किसान क्या करें, समझ से परे है।

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धान मूल्य भुगतान का पोर्टल अब खुला है। शासन से धनराशि भी प्राप्त हो रही है। अधिकतम दस दिनों में समस्त किसानों का भुगतान हो जाएगा। जिन किसानों का धान क्रय कर लिया गया है पर फीडिग न हो सकी है, उनके बाबत शासन को पत्र लिखा गया है। पोर्टल खुलते ही फीडिग होगी।

-उमाकांत कुशवाहा, आरएफसी आजमगढ़


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