असंख्य दीपमालिकाओं ने बहाई ज्योति-गंगा
यह पर्व मनुष्यों का नहीं देवताओं का था एक ओर स्वर्ग में देवगण भगवान विष्णु के चातुर्मास्य से जागने और त्रिपुर राक्षस के वध के उल्लास में दीपावली मना रहे थे तो दूसरी ओर पृथ्वी पर उनके भक्त।
जागरण संवाददाता, मऊ : यह पर्व मनुष्यों का नहीं देवताओं का था, एक ओर स्वर्ग में देवगण भगवान विष्णु के चातुर्मास्य से जागने और त्रिपुर राक्षस के वध के उल्लास में दीपावली मना रहे थे, तो दूसरी ओर पृथ्वी पर उनके भक्त। भक्तों ने दीपमालिकाओं से नगर के शीतला धाम परिसर समेत जनपद भर के मंदिरों, नदियों के घाटों और पावन सरोवरों को ऐसा सजाया मानों धरती पर ही स्वर्ग उतर आया हो।
मंगलवार की शाम को देव दीपावली महोत्सव पर अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित हुआ। 11 हजार दीपों से सजा नगर के मां शीतला धाम का सरोवर जहां दिव्य आभा से दमक उठा, वहीं शहर ही नहीं आसपास के इलाकों से जुटे हजारों-हजार नागरिकों ने इस देव-पर्व को यादगार ढंग से मनाया। आतिशबाजी शुरू होते ही ऐसी समां बंधी कि सबका सिर आसमान की ओर उठा रहा और हर आंख में चमक कौंधती रही। आयोजन के दौरान शहर की सभी सड़कें धाम की ओर बढ़ती भीड़ से ठसाठस भरी रहीं। ऐसा लग रहा था जैसे सबकी एक ही मंजिल है। सभी सड़कों पर तैनात जवान यातायात को नियंत्रित करने में लगातार जुटे रहे।
इस अवसर पर हुई महाआरती में बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी की। रंगोली प्रतियोगिता तथा आतिशबाजी ने आयोजन में चार चांद लगा दिए। देव दीपावली महोत्सव से जन-जन को खुशियां मिले, इसके मद्देनजर शीतला धाम सहित सभी मंदिरों को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था। शाम होते ही मां के मुख्य मंदिर सहित पोखरे के चारों ओर हजारों दीपों की झिलमिलाहट ने दर्शनार्थियों को स्वर्ग सरीखा अनुभव कराने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन उजाले के इस उत्सव में शरीक होने के लिए दोपहर तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा। रात नौ बजे तक मंदिर से लगायत मुंशीपुरा मोड़ तक भीड़ ठठा-ठस कायम रही। लोग किसी तरह सरक रहे थे।