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अभी सप्ताह भर करना होगा बोहनी का इंतजार

भले ही शासन द्वारा 15 अक्टूबर से धान क्रय केंद्र खोल दिया गया है लेकिन अभी एक सप्ताह तक किसान क्रय केंद्रों पर धान बेचने की स्थिति में नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 10:28 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 10:28 PM (IST)
अभी सप्ताह भर करना होगा बोहनी का इंतजार
अभी सप्ताह भर करना होगा बोहनी का इंतजार

जागरण संवाददाता, मऊ : भले ही शासन द्वारा 15 अक्टूबर से धान क्रय केंद्र खोल दिया गया है, लेकिन अभी एक सप्ताह तक किसान क्रय केंद्रों पर धान बेचने की स्थिति में नहीं है। लगभग दस दिन बाद भी किसी भी क्रय केंद्र पर बोहनी नहीं हो सकी जबकि कर्मचारियों को क्रय केंद्रों पर हर हाल में अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। बीते गुरुवार को मधुबन व घोसी तहसील क्षेत्रों में हुई झमाझम बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया और उसकी धान की काटी गई फसल खेतों में भींग गई। अब वह युद्धस्तर पर धान की फसल को सुखाने में जुटा हुआ है। यानी एक सप्ताह तक क्रय केंद्रों पर किसानों के धान पहुंचने की संभावना नजर नहीं आ रही है। अभी प्रशासन को किसानों का इंतजार करना पड़ेगा।

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जनपद में कुल 50 हजार टन धान खरीद का लक्ष्य शासन की तरफ से निर्धारित किया गया है। इसके लिए 45 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। 15 अक्टूबर से धान खरीद के लिए क्रय केंद्र खोल दिए गए हैं लेकिन नौ दिन भी अभी तक कोई किसान धान क्रय करने नहीं पहुंचा। जबकि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान की अच्छी खेती हुई है। अगेती धान की फसल कटने लगी है। अभी कुछ फसल अब पकने की ओर है। किसान युद्धस्तर पर धान की कटाई व पिटाई का कार्य कर रहे हैं। कुछ किसान धान को सुखा भी रहे हैं लेकिन अभी तक ज्यादातर धान किसान के खेतों में लहलहा रही हैं। बाढ़ में डूबी फसलों को किसान किसी तरह काटकर बाहर निकाला तो गुरुवार को हुई बारिश ने उसे भिगो दिया है। इसकी वजह से एक सप्ताह तक धान खरीद पर किसानों के पहुंचने की संभावनाओं पर पानी फिर गया है। दूसरी तरफ डिप्टी आरएमओ विपुल कुमार सिन्हा क्रय केंद्रों का निरीक्षण कर धान खरीद का जायजा ले रहे हैं। लगातार वह किसानों से बातचीत भी कर रहे हैं, लेकिन बीच में हुई बारिश का हवाला देकर किसान चुप्पी साध गए हैं। ऐसे में प्रशासन भी अभी सुस्त पड़ गया है।

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क्रय केंद्रों पर सारी व्यवस्था कर दी गई है लेकिन अभी किसान धान लेकर नहीं पहुंच रहा है। इसकी वजह से धान खरीद नहीं हो पा रही है। फिर भी लगातार किसानों को धान बेचने के लिए कहा जा रहा है।

-केहरी सिंह, एडीएम प्रशासन वित्त एवं राजस्व।


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