शहर में बिगड़ता जा रहा शिक्षक व छात्रों का अनुपात
शहर में बिगड़ता जा रहा शिक्षक व छात्रों का अनुपात
शहर में बिगड़ता जा रहा शिक्षक व छात्रों का अनुपात
जागरण संवाददाता, मऊ : प्राथमिक शिक्षा की शैक्षिक गुणवत्ता की बेहतरी का सवाल जिला मुख्यालय पर ही दम तोड़ता नजर आ रहा है। शिक्षक व छात्रों का अनुपात एकदम बेमेल हो गया है। नगर शिक्षा क्षेत्र के 38 प्राइमरी स्कूलों में लगभग 4500 छात्रों का नामांकन है, जबकि उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक और शिक्षामित्र मिलाकर कुल 102 ही अध्यापक हैं। अधिकतम 30 बच्चों पर एक शिक्षक नियुक्त किए जाने का मानक है, लेकिन नगर क्षेत्र में औसतन एक ही अध्यापक पर 44 से 45 बच्चों तक का बोझ है।
आलम यह है कि 38 में से 10 विद्यालय तो केवल एक शिक्षक के भराेसे चलाए जा रहे हैं। नगर शिक्षा क्षेत्र से प्रतिवर्ष औसतन पांच शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिनके स्थान पर नये शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया जा रहा है। इससे छात्र शिक्षक अनुपात निरंतर बिगड़ता जा रहा है। 38 विद्यालयों को बारीकी से देखा जाए तो 10 विद्यालय जहां एक ही शिक्षक के भरोसे चलाए जा रहे हैं, वहीं 14 विद्यालय दो शिक्षकों की मेहनत से चल रहे हैं। समझा जा सकता है कि 38 में से 24 विद्यालयों में यदि किसी शिक्षक ने छुट्टी ले ली तो उस दिन पढ़ाई-लिखाई का बंटाधार तय है। प्रधानाध्यापक चंद्रधर राय ने बताया कि कई विद्यालयों में मानक के अनुरूप शिक्षण कार्य कर पाने में शिक्षकों को असुविधा हो रही है। मांग के बावजूद विभाग से शिक्षक नहीं मिल रहे हैं।
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अरबन क्षेत्र के शिक्षकों का कैडर अलग है। ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों को नगर क्षेत्र में स्थानांतरित या संबद्ध करने का नियम नहीं है। प्रतिवर्ष शिक्षकों के रिटायर होते जाने से समस्या बढ़ती चली जा रही है।
- डा.संतोष कुमार सिंह, बीएसए, मऊ।