झमाझम बरसे मेघ, धान की फसल लहलहाई
उत्तरायण उत्तरा नक्षत्र ने किसानों की उम्मीदें जगा दी है। गुरुवार को अलसुबह सुबह से शुरू हुई बारिश देर शाम तक चलती रही। इससे
जागरण संवाददाता, मऊ : उत्तरायण उत्तरा नक्षत्र ने किसानों की उम्मीदें जगा दी है। गुरुवार को अलसुबह सुबह से शुरू हुई बारिश देर शाम तक चलती रही। इससे 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर बोई गई धान की फसल लहलहा उठी। हालांकि सुबह से ही लगातार हो रही बारिश के चलते आम जनजीवन प्रभावित रहा। कामकाजी लोग घरों में ही फंस गए। सड़कों पर गड्ढों में पानी लग गया। वहीं आसमान में छाए काले घने मेघ देख किसानों को अब धान के बेहतर उत्पादन की उम्मीद बंध गई है। हालांकि बारिश के बीच अगर तेज हवा चली तो अगेती धान को नुकसान भी हो सकता है।
बारिश का शुरूआती माह जून पूरी तरह से किसानों को दगा दे गया था। प्रचंड धूप और गर्मी के बीच किसी तरह किसानों ने ट्यूबवेल के सहारे अपने खेतों में धान की रोपाई की। इसी बीच जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में हुई मूसलाधार बारिश ने फसल को संजीवनी प्रदान कर दी। हालांकि इस बारिश के बाद आधा अगस्त हल्की बारिश की ही भेंट चढ़ गया। इस दौरान किसानों के माथे पर जरूर चिता की लकीरें उभर आई थी। किसान किसी तरह ट्यूबवेल के सहारे धान को बचाने की जद्दोजहद में लगा था परंतु एक बार फिर मौसम ने करवट बदला और सितंबर की शुरूआत से ही बारिश का दौर चल निकला। गुरुवार को सुबह से ही शुरू हुई बारिश का चक्र चला तो देर शाम तक चलता ही रहा। लगातार कभी तेज तो कभी धीमी पानी की बूंदे धरती पर गिरती रही।
थलईपुर प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र में सुबह से ही हो रही झमाझम बारिश ने धान की फसल को नया जीवन प्रदान किया है। कभी तेज तो कभी हल्के रूप में सुबह से ही बरसात का जो क्रम शुरू हुआ तो दिन ढलने के समय तक अबाध गति से चलता ही रहा। इस बरसात ने किसानों की मायूसी को काफी हद तक दूर कर दिया। क्योंकि धान की फसल में अब बालियां आने को हैं और ऐसे समय में पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। बरसात का मौसम अपने उतार पर है। ऐसे में तेज वर्षा की संभावना कम ही होती है। यह बात किसानों को चितित कर रही थी। क्योंकि बिजली एवं डीजल की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण ट्यूबवेल का सौ से डेढ़ सौ रुपये प्रति घंटे पानी चलाना आम किसान के लिए कठिन हो गया था।