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सुभासपा से टूटकर अलग दल बनना तय, नवरात्रि में नई पार्टी की होगी घोषणा, चल रही रायशुमारी

सुभासपा में रार होने के बाद से ही पार्टी में बिखराव शुरू हो गया था। उसके बाद से ही अब पूर्वांचल में नए सिरे से सियासी समीकरण बदलने लगे हैं। माना जा रहा है कि नई पार्टी अब नवरात्र में गठित हो जाएगी।

By Jaiprakash NishadEdited By: Abhishek sharmaPublished: Mon, 12 Sep 2022 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 13 Sep 2022 09:41 AM (IST)
सुभासपा से टूटकर अलग दल बनना तय, नवरात्रि में नई पार्टी की होगी घोषणा, चल रही रायशुमारी
महेंद्र राजभर ने कहा कि नवरात्रि में सुभासपा के मुकाबले नया दल लेगा आकार।

जागरण संवाददाता, मऊ। प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुकाबले नए दल का गठन नवरात्रि में हो जाएगा। सुभासपा के बागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर के नेतृत्व में पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। इधर मऊ जनपद से शुरू हुई बगावत पूर्वांचल के अन्य जिलों तक पहुंच गई है। खुद महेंद्र राजभर पूर्वांचल के दौरे पर रहकर बगावती पदाधिकारियों से रायशुमारी कर रहे हैं। इसका नतीजा रहा कि पिछले एक सप्ताह में 113 पदाधिकारियों ने त्यागपत्र दे दिया है।

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वर्ष 1996 से 2012 तक लगातार चार विधानसभा चुनाव में मऊ सदर सीट से माफिया मुख्तार अंसारी को एकतरफा जीत मिलती रही। पहली बार 2017 के चुनाव में सुभासपा-भाजपा का गठबंधन हुआ और मऊ सदर विधानसभा सुभासपा के खाते में गई। गठबंधन प्रत्याशी सुभासपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जमीनी कार्यकर्ता महेंद्र राजभर को प्रत्याशी बनाया गया। पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भुजौटी में आयोजित चुनावी रैली में प्रत्याशी महेंद्र राजभर को कटप्‍पा की संज्ञा दी।

प्रधानमंत्री ने मंच से एलान किया कि कटप्पा ही बाहुबली का अंत करेगा। रैली का असर रहा कि भगवा व पीले झंडे ने कड़ी टक्कर दी। नजदीकी मुकाबले में 8,698 मतों से सुभासपा को हार मिली। महेंद्र अगले चुनाव की तैयारी कर रहे थे कि अचानक विधानसभा चुनाव 2022 में राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सुभासपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। इससे आहत विधानसभा चुनाव में महेंद्र की सक्रियता कम रही। यह टीस छह माह बीतते-बीतते बाहर आ गई और पूर्वांचल में अति पिछड़ों, दलितों की पार्टी कहीं जाने वाली सुभासपा में बड़ा विस्फोट हो गया। पांच सितंबर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर ने ओमप्रकाश राजभर पर स्वहित का बड़ा आरोप लगाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ त्याग पत्र दे दिया। 27 अक्टूबर 2002 को गठित दल में दो फाड़ हो गई है। इन सब घटनाक्रम का दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है।

बोले महेंद्र : सुभासपा में अब कार्यकर्ताओं की जगह धनपशुओं व माफिया को तरजीह दी जा रही है। इससे बड़ी तादाद में उपेक्षित कार्यकर्ता त्यागपत्र दे रहे हैं। नवरात्रि में नए दल का एलान किया जाएगा। पूरे पूर्वांचल में दौरा कर उपेक्षित लोगों से रायशुमारी चल रही है। - महेंद्र राजभर, निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभासपा।


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