इलाज के दौरान मासूम की मौत, सड़क जाम
जागरण संवाददाता रतनपुरा (मऊ) हलधरपुर थाना क्षेत्र के बिलौझा निवासी तीन वर्षीय बालक किशन
जागरण संवाददाता, रतनपुरा (मऊ) : हलधरपुर थाना क्षेत्र के बिलौझा निवासी तीन वर्षीय बालक किशन सिंह उर्फ छोटू की शनिवार की भोर में नीमहकीम के इलाज के दौरान हालत बिगड़ गई। परिजन मासूम को लेकर जिला मुख्यालय जा ही रहे थे कि रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। दो अस्पतालों से मृत घोषित करने के बाद परिजन सहित ग्रामीण भी आक्रोशित हो गए और तरवांडीह चट्टी पर सड़क जाम कर दिया। उधर बच्चे की मां की तहरीर पर पुलिस ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोपित नीम हकीम को हिरासत में ले लिया है।
बिलौझा ग्राम पंचायत निवासी स्व.सिपू सिंह के तीन वर्षीय पुत्र किशन सिंह उर्फ छोटू का पेट रात में 2.00 बजे अचानक दर्द करने लगा। दर्द तेज होने लगा तो मां रंजना सिंह और परिजन बच्चे को लेकर तरवांडीह चट्टी स्थित पप्पू सेवा सदन ले गए। वहां नीमहकीम उदयचंद्र चौहान उर्फ पप्पू ने बच्चे को इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगते ही बच्चे की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई, वह तड़पने लगा। स्थिति बिगड़ती देख परिजन चार पहिया वाहन से जिला मुख्यालय के लिए चल दिए परंतु जैसे ही बलिया मोड़ पर पहुंचे कि बच्चे की सांसें थम गईं। परिजन बच्चे को लेकर प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, वहां चिकित्सकों ने मृत बताकर उन्हें वापस कर दिया। इसके बाद भी परिजनों को संतोष नहीं हुआ और वह बच्चे को लेकर बलिया जनपद के बाहरपुर मिशन अस्पताल गए। वहां भी चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण तरवांडीह चट्टी पर इकट्ठा हुए और हंगामा होने लगा। इस बीच नीमहकीम ने आक्रोश को देखते हुए अपने आप को डिस्पेंसरी में अंदर से बंद कर लिया। गुस्साए लोगों ने बच्चे के शव को चौराहे पर रखकर सड़क जाम कर दिया। जाम लगभग डेढ़ घंटे तक चला। सूचना पाकर पहुंची स्थानीय पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर चक्का जाम समाप्त कराया और डिस्पेंसरी में बंद नीमहकीम को बाहर निकाल कर हिरासत में ले लिया। पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है। उधर बच्चे की मां रंजना सिंह की तहरीर पर पुलिस संबंधित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर आगे की कार्रवाई में जुट गई है। इनसेट--
पहले सिदूर और अब उजड़ी कोख
नीमहकीम के इंजेक्शन से मृत बालक किशन सिंह उर्फ छोटू के पैदा होने के कुछ दिन बाद ही पिता सिपू सिंह की मौत हो गई थी। किशन दो भाइयों में छोटा था। उसका बड़ा भाई प्रांजल छह वर्ष का है। पिता की मौत के बाद मां रंजना सिंह बच्चों की किसी तरह परवरिश कर रही थी। अभागी मां किसी तरह रोजी-रोटी चला रही थी। अभी वह तीन वर्ष पूर्व हुए पति की मौत के सदमें से उबर भी नहीं पाई थी कि कोख के बच्चे को भी गवां कर बदहवास हो गई है। मां की आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। बार-बार अपनी किस्मत को कोसते हुए यही कह कर रो रही है कि आखिर विधाता उसे कितना कष्ट देगा। सिदूर मिट जाने के बाद दो बच्चों का ही तो सहारा था। पीड़िता के करुण-क्रंदन से पूरा गांव गमगीन है।