शिक्षा के प्रति समर्पण का स्वतंत्र को मिला सम्मान
चमचमाता भवन टाइल्स लगे चमकते फर्श सुंदर-सुसज्जित शिक्षण कक्ष हरीतिमायुक्त परिसर साफ-सुथरा अत्याधुनिक चमचमाता टायलेट्स सभी शिक्षण कक्षों में पर्दे महापुरुषों के चित्रों और उनके विचारों से अंकित दीवारें डिजिटल क्लास।
जागरण संवाददाता, मऊ : चमचमाता भवन, टाइल्स लगे चमकते फर्श, सुंदर-सुसज्जित शिक्षण कक्ष, हरीतिमायुक्त परिसर, साफ-सुथरा अत्याधुनिक चमचमाता टायलेट्स, सभी शिक्षण कक्षों में पर्दे, महापुरुषों के चित्रों और उनके विचारों से अंकित दीवारें, डिजिटल क्लास। सब कुछ स्वप्नलोक सरीखा। बात हो रही है मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के सुदूर ग्रामीण अंचल में बसे नगरीपार के प्राथमिक विद्यालय की। जी हां, स्वप्न लोक इस मायने में कि आज के दौर में किसी भी परिषदीय प्राथमिक विद्यालय का नाम सामने आते ही जो तस्वीर मन-मस्तिष्क में उभरती है, यह है उसके ठीक उलट।
प्रधानाध्यापक स्वतंत्र कुमार श्रीवास्तव ने विद्यालय का भवन ही नहीं बल्कि वहां पढ़ने वाले बच्चों के ज्ञान का स्तर भी ऐसा कर दिया है कि किसी महंगे कान्वेंट स्कूल के बच्चों को पीछे करता नजर आता है। तभी तो आसपास के आधा दर्जन कान्वेंट स्कूलों की हालत इसके सामने बेहद पतली है। शिक्षा के प्रति इसी समर्पण का तो पुरस्कार मिला है उन्हें।
बुधवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य पुरस्कार प्रदान किया तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। टीवी पर सीधा प्रसारण देख रहे जनपद के लोग अपने जनपद के युवा शिक्षक को देखते ही चहक उठे।
वर्ष 2005 में स्वतंत्र श्रीवास्तव उस विद्यालय पर तैनात हुए थे। आज वहां की साख ऐसी कि उस क्षेत्र के अमीर परिवार का बच्चा हो या गरीब परिवार का, सब कान्वेंट छोड़ उसी प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश चाहते हैं। अपने शिक्षण और विद्यालय के प्रति समर्पण का आलम यह कि वे रविवार को भी क्लास चलाते हैं। भवन ऐसा कि देखते ही आदमी भूल जाय कि वह परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में है।