हेलमेट नहीं तो लगेगी वाट, समझ गए यह सौ में साठ
कार में बैठने वाले के लिए सीट बेल्ट और बाइक चलाने वाले को सुरक्षित यात्रा के लिए हेलमेट लगाना कानूनन जरूरी है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी की ओर से लगातार चलाए गए प्रेरक और चेकिग अभियान तथा जागरूकता गोष्ठियों का परिणाम यह रहा कि जिले के विभिन्न न्यायालयों में आने वाले 30 फीसदी अधिवक्ताओं ने भी स्वयं हेलमेट का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।
जागरण संवाददाता, मऊ : कार में बैठने वाले के लिए सीट बेल्ट और बाइक चलाने वाले को सुरक्षित यात्रा के लिए हेलमेट लगाना कानूनन जरूरी है। एआरटीओ की ओर से लगातार चलाए गए प्रेरक और चेकिग अभियान तथा जागरूकता गोष्ठियों का परिणाम यह रहा कि जिले के विभिन्न न्यायालयों में आने वाले 30 फीसदी अधिवक्ताओं ने भी स्वयं हेलमेट का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। विभागीय अधिकारी इसे अभियान के सुखद परिणाम के रूप में ले रहे हैं।
एआरटीओ अवधेश कुमार ने बताया कि विभागीय सर्वे में यह पाया गया है कि जिले में बाइक से चलने वाले 60 प्रतिशत से अधिक लोग अब हेलमेट लगाने लगे हैं। हेलमेट लगाने वालों में अधिवक्ताओं और पत्रकारों की भी संख्या बढ़ी है। सीट बेल्ट लगाने और हेलमेट लगाकर बाइक चलाने से दुर्घटना के वक्त व्यक्ति को कम से कम शारीरिक क्षति उठानी पड़ती है। हेलमेट सिर्फ चालान कटने से ही नहीं बचाता है, बल्कि जीवन और धन दोनों की रक्षा करता है। डिस्ट्रिक्ट बार के अध्यक्ष जवाहर लाल प्रजापति ने कहा कि जीवन की रक्षा सर्वोपरि है। इसलिए प्रत्येक अधिवक्ता ही नहीं हर बाइकर्स को हेलमेट अवश्य पहनना चाहिए। डिस्ट्रिक्ट बार के पूर्व मंत्री ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि विभाग का सर्वे भले ही 30 प्रतिशत को कह रहा हो, लेकिन प्रतिदिन कलेक्ट्रेट आने वाले 50 प्रतिशत से अधिक अधिवक्ता हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं। बार के मंत्री विद्यानिधि उपाध्याय ने कहा कि जब अधिवक्ता हेलमेट लगाकर चलेंगे तो इसका समाज के हर वर्ग पर सकारात्मक प्रभाव होगा और सभी इसके प्रति प्रेरित होंगे। शासकीय अधिवक्ता दिनेश राय एवं पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह ने कहा कि कानून का पालन करके ही अधिवक्ता बंधु समाज के अन्य लोगों को भी जागरूक कर सकते हैं।