कहीं खुशियां गम में न बदल जाए
जागरण संवाददाता मऊ दीपावली खुशियों का त्योहार भले ही है लेकिन हमारी थोड़ी सी चूक बड
जागरण संवाददाता, मऊ : दीपावली खुशियों का त्योहार भले ही है, लेकिन हमारी थोड़ी सी चूक बड़े हादसे का कारण बन सकती है। प्राय: बच्चे आतिशबाजी के दौरान लापरवाही बरतते हैं। ऐसे में अभिभावक को ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं से भी आतिशबाजी के दौरान लापरवाही न बरती जाए। बच्चों के साथ खुद अभिभावक मौजूद रहें। पिछले एक दशक को सज्ञान में लिया जाए तो जनपद को कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई लेकिन आजमगढ़ मोड़ पर पटाखे की दुकान में लगी आग में सभी लोग बाल-बाल बच गए थे। इसके अलावा दीपावली में छोटी-मोटी घटनाएं होना आम बात है। इस साल वैश्विक महामारी से हुई लाखों लोगों की मौत ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इसके चलते दीपावली में पटाखे की वजह से पर्यावरण प्रदूषण न फैले, इस पर बेहद सजगता बरती जा रही है। चाइनीज पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। मुहम्मदाबाद गोहना के रामनगर खलीसा गांव स्थित बीएसआर के इंटर कॉलेज के छात्रों से बातचीत की गई तो उन्होंने पटाखा से तौबा करने की बात कही। छात्र सचिन राय ने कहा कि शासन प्रशासन के लोगों को पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए दीपावली पर्व पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए और अवैध रूप से बिक्री कर रहे पटाखे के दुकानदारों पर कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। इससे पर्यावरण प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। विशनपुरा निवासी विकास तिवारी ने कहा कि पटाखे से अनेक प्रकार की क्षति होती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पर्यावरण प्रदूषण होने में पटाखा की सबसे अहम भूमिका होती है। इससे संक्रामक बीमारियां अपना पाव पसारना शुरू कर देती हैं। मोहिउद्दीनपुर निवासी निखिलेश तिवारी ने कहा कि जीवन बहुत ही अनमोल है। इसे बचाए रखने के लिए शुद्ध पर्यावरण की सख्त आवश्यकता है। वलीदपुर के परासखांड़ निवासी शगुन यादव ने कहा कि पर्यावरण की शुद्धि के लिए दो वर्षों से पटाखा नहीं छोड़ रहा हूं, बल्कि अपने साथियों को भी पटाखे न जलाने के लिए प्रेरित कर रहा हूं। इससे पर्यावरण प्रदूषित होने से रोका जा सकता है और दुर्घटनाओं की संभावना भी नहीं रहेगी। --------------------- फोटो..17..पटाखे की आग होती है खतरनाक दिवाली खुशियों का त्योहार है। खुशी मनाने के नाम पर लोग जहा पटाखों पर करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं, वहीं इन पटाखों को चलाकर पर्यावरण को भी बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाते हैं। पटाखे चलाकर मनाई जाने वाली खुशी कई लोगों की सेहत के लिए घातक साबित हो रही है। पटाखों की आग में जहां कई लोग झुलस जाते हैं, वहीं इनसे निकलने वाला धुआ कई लोगों की सास और आखों को पीड़ा देता है। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने एवं स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए लोगों को खुशियों का त्योहार दिवाली पटाखे फोड़कर नहीं मनाना चाहिए। दीवाली एक-दूसरे से मिलकर, पौधारोपण कर, जरूरतमंदों की सहायता कर एवं पर्यावरण को स्वच्छ रखने का प्रण करने सहित समाज सेवा के कार्यो में अपना योगदान देकर मनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पटाखों से उठने वाला धुआ कई गंभीर रोगों को जन्म देता है। ---प्रवीण राय, प्रबंधक बीएसआरके इंटर कालेज रामनगर खलिसा मोहम्मदाबाद गोहना