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उगाएं टमाटर हो जाएं लाल

गेहूं व धान की परंपरागत खेती के अलावा किसानों के लिए टमाटर की खेती काफी लाभदायक साबित हो सकती है। तकनीकी विधि अपनाकर व अच्छी प्रजाति के बीज का चयन कर किसान टमाटर की खेती से मालामाल हो सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 08:01 PM (IST)
उगाएं टमाटर हो जाएं लाल
उगाएं टमाटर हो जाएं लाल

जागरण संवाददाता, अदरी (मऊ) : गेहूं व धान की परंपरागत खेती के अलावा किसानों के लिए टमाटर की खेती काफी लाभदायक साबित हो सकती है। तकनीकी विधि अपनाकर व अच्छी प्रजाति के बीज का चयन कर किसान टमाटर की खेती से मालामाल हो सकते हैं। यह सलाह कृषि उप निदेशक एसपी श्रीवास्तव ने दी है। उन्होंने बताया कि टमाटर में सामान्य व संकर दोनों प्रकार की किस्में उपलब्ध है। सामान्य प्रजाति के टमाटर में छिलके पतले व जूस ज्यादा होता है तथा संकर में छिलके मोटे होते हैं।

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उन्होंने बताया कि संकर प्रजाति के टमाटर के फल कमरे के तापक्रम पर कई दिनों तक बिना खराब हुए रखा जा सकता है। सामान्य प्रजाति में काशी अमृता, काशी, पूसा आदि किस्में शामिल है। इनके फलों के पकने की अवधि 80 से 90 दिन है तथा उत्पादन 400 से 500 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। इनके लिए बीज की मात्रा 450-500 ग्राम प्रति हेक्टेअर पर्याप्त होती है। संकर प्रजाति में स्वर्ण वैभव, अविनाश-2, रूपाली, कंचन, नवीन आदि किस्में है। स्वर्ण वैभव के पकने की अवधि 55 से 60 दिन तथा उत्पादन 700 से 800 प्रति हेक्टेअर, अविनाश-2 की 85 से 90 उत्पादन 600 से 700 प्रति हेक्टेअर है। इसके लिए 300 से 350 ग्राम बीज प्रति हेक्टेअर के लिए आवश्यक है। संकर प्रजाति के बीज का रोपण करके टमाटर की खेती से अधिक उत्पादन किसान पा सकते हैं। ऐसे करें रोपाई

खेत में 250 ग्राम नीम की खली का प्रयोग करने के बाद गोबर की खाद 1/2 भाग डाल दें। बीज की नर्सरी डालने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोकर रखने के बाद ही खेत में डालें। उसके बाद नर्सरी में पौधे की उंचाई 15-20 सेमी की हो तब रोपाई करनी चाहिए। इसके लिए 60 सेमी चौड़ी तथा जमीन की सतह से 20 सेंमी ऊंची उठी हुई क्यारियां बनाना चाहिए। जिनके दोनों तरफ 30 सेमी की दूरी पर पौध की रोपाई करनी चाहिए। बुआई का समय मुख्य रूप से टमाटर की दो फसलें होती हैं। पहली जाड़े की फसल, जिसकी बोआई किसान दिसंबर प्रथम व द्वितीय सप्ताह में कर चुके हैं। अब दूसरी फसल के लिए बरसात के मौसम में जून-जुलाई में पौध तैयार कर जुलाई-अगस्त तक रोपण कर सकते हैं। इससे किसान काफी आमदनी कर मालामाल हो सकते हैं।


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