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कुपोषण संग कोरोना पर वार, सहजन बना हथियार

गीता ने सहजन से एक नहीं 56 व्यंजन रूपी हथियार बना डाले और कुपोषण की ऐसी-तैसी कर अपने क्षेत्र के बच्चों और महिलाओं की इम्युनिटी बढ़ाकर कोरोना के कुप्रभाव से बचा लिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 11:01 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 11:01 PM (IST)
कुपोषण संग कोरोना पर वार, सहजन बना हथियार

राकेश उपाध्याय, थानीदास (मऊ) :

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संत्रास कोरोना रूपी रावण का हो या कुपोषण रूपी राक्षस का, गीता ने अपना हथियार उठाया तो उन्हें पराजित होना ही पड़ा। गीता ने सहजन से एक नहीं, 56 व्यंजन रूपी हथियार बना डाले और कुपोषण की ऐसी-तैसी कर अपने क्षेत्र के बच्चों और महिलाओं की इम्युनिटी बढ़ाकर कोरोना के कुप्रभाव से बचा लिया। खास बात यह कि उनके 56 में से 47 व्यंजनों की प्रयोगशाला रिपोर्ट भी पोषण के मानक पर खरी उतर चुकी है।

बात कर रहे हैं बड़रांव ब्लाक के अहिरानी गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता पांडेय की। सहजन की पोषकता के बारे में विभाग द्वारा जानकारी पाकर उन्होंने इसके सदाबहार उपयोग के तरीके ढृंढने शुरू किए, फिर तो उसकी फली, गूदों, पत्तियों, गोंद, बीज आदि की सहायता से मूंग दाल आदि का बेस बनाकर लड्डू, बर्फी, मुरब्बा, जेल, जेली, अचार, खटाई, पाचन चूर्ण, जूस आदि कुल 56 प्रकार के व्यंजन बना डाले। इन व्यंजनों से अपने क्षेत्र के कुपोषित बच्चों और एनीमिक व बीमार महिलाओं, किशोरियों को सुपोषित करना शुरू कर दिया। उनके इस काम को देखकर तत्कालीन जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी ने उनके व्यंजनों की खाद्य एवं औषधि प्रशासन से सैंपलिग कराकर लखनऊ प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए अगस्त 2019 में भेजवाया था। प्रयोगशाला ने खाद्य मानकों के आधार पर इनके 56 में से 47 व्यंजनों को पोषण के योग्य पाया और हरी झंडी दे दी। इन व्यंजनों की जांच रिपोर्ट बीते फरवरी माह में मिली, जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट सभागार में बुलाकर सम्मानित किया, तभी इसी बीच कोरोना का संक्रमण शुरू हो गया। जिलाधिकारी ने उन्हें जिम्मेदारी का एहसास कराया तो वे खुद ही अपने खर्च से व्यंजन बनाकर क्षेत्र के लोगों की सेवा में जुट गईं। इस बीच उनके बनाए व्यंजनों ने इतनी ख्याति अर्जित कर ली है कि उनकी डिमांड बढ़ती गई। अनेक सरकारी अधिकारियों ने उनके व्यंजनों को मंगाकर खुद की सुरक्षा बहाल की की तो अब अनेक सरकारी व गैरसरकारी विभागों तथा अन्य संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों मे नाश्ता-पानी के लिए भी लोग इनके व्यंजनों का आर्डर दे रहे हैं। कुछ व्यवसायी भी उनसे इन व्यंजनों को लेने लगे हैं, जिन्हें वह लागत मूल्य पर उपलब्ध करा देती हैं। निश्शुल्क वितरण कर किया कुपोषण दूर

गीता के सहजन से बने व्यंजनों के प्रयोग का नतीजा यह रहा कि आर्यन नामक कुपोषित बच्चा लाल से हरी श्रेणी में आ गया तो इंद्रावती, नीता सहित कई गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य मे भी आश्चर्यजनक सुधार देखने को मिला। बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में विभाग से मिलने वाली पंजीरी तो बांटा ही अपने व्यंजन भी खिलाए। साथ गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य की जांचकर आयरन व अन्य प्रकार के विटामिन के लिए भी सहजन का प्रयोग कराया। अभी तक इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होना बाकी है तो इसे व्यावसायिक रूप देना भी शेष है।


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