प्रधान तो कहीं सचिव थमा रहे ईट
गांवों को ओडीएफ बनाने के लिए शौचालयों का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है। इस लक्ष्य को 2 अक्टूबर तक पूरा करने के लिए पूरा जिला प्रशासन, ग्राम प्रधान, सचिव और लाभार्थी सभी लगे हुए हैं। मजदूरों के संकट के कारण उन्हीं को सारी भूमिका निभानी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : जनपद की ग्राम पंचायतों को दो अक्टूबर के पहले खुले में शौचमुक्त करने के लिए प्रशासनिक दबाव चरम पर है। इसके चलते दिन-रात गांवों में शौचालय निर्माण को अमलीजामा पहनाने का काम किया जा रहा है। कहीं प्रधान तो कहीं सचिव ईट सीमेंट पकड़ा रहे हैं।
देश में चल रहे भारत स्वच्छ मिशन के तहत स्थानीय तहसील अंतर्गत दोहरीघाट व फतहपुर मंडाव विकास खंड क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में बेसलाइन सर्वे के आधार पर सभी लाभार्थियों के खाते में शौचालय निर्माण का पैसा प्रेषित कर दिया गया है। इसके बावजूद कहीं राजमिस्त्री व मजदूर के अभाव में तो कहीं लाभार्थी द्वारा दिलचस्पी न लेने के चलते शौचालय निर्माण को गति नही मिल पा रही है। इससे स्वच्छ भारत मिशन में रैं¨कग में जनपद फिसड्डी साबित हो रहा है तो फतहपुर मंडाव जनपद मे आखिरी रैं¨कग पर है। इसमें सुधार के लिए जिलाधिकारी द्वारा कई प्रधानों व सचिवों का पेंच कसने और कार्रवाई करने की चेतावनी जारी करने का असर अब यह पड़ा है। ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी स्वत: शौचालय निर्माण को गति देने मे दिन-रात गांव का भ्रमण कर रहे हैं तो मजदूर व राजमिस्त्री नहीं मिलने पर लाभार्थी तथा उसका परिवार स्वयं मजदूर की भूमिका निभा रहा हैं। रविवार को क्षेत्र के कटघरा महलू में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। गांव में प्रधान प्रतिनिधि टुनटुन राय स्वयं लाभार्थी के साथ धूप में खड़े होकर शौचालय निर्माण में हाथ बटाते हुए नजर आए। यही स्थिति लगभग हर ग्राम पंचायतों में बनी हुई है।