धान की नर्सरी डूबी, मारे-मारे फिर रहे किसान
जिले के हर तरफ भारी वर्षा के कारण निचले खेतों में धान की रोपाई के लिए उगाई गई नर्सरी पानी के चलते डूब कर नष्ट हो गई है। ऐसा एक किसान के साथ नहीं हुआ है बल्कि हजारों किसानों के साथ हुआ है।
जागरण संवाददाता, नौसेमरघाट (मऊ) : जिले के हर तरफ भारी वर्षा के कारण निचले खेतों में धान की रोपाई के लिए उगाई गई नर्सरी पानी के चलते डूब कर नष्ट हो गई है। ऐसा एक किसान के साथ नहीं हुआ है, बल्कि हजारों किसानों के साथ हुआ है। अच्छी बारिश के चलते अब किसान अपने ऊपर के खेतों में भी धान की रोपाई करना चाहते हैं, लेकिन न तो धान की नर्सरी कहीं मिल पा रही है और न ही किसान रोपाई कर पा रहे हैं। आलम यह है कि धान की नर्सरी के लिए किसान मारा-मारा फिर रहे हैं।
आम तौर पर जिले में किसान धान की नर्सरी बेचने के लिए नहीं उगाते। वे नर्सरी केवल अपने खेतों में रोपाई के लिए ही उगाते हैं, लेकिन कई बार उन्हीं किसानों के निचले खेतों में जब पानी भर जाता है तो उनकी नर्सरी बच जाती है, जिसे जरूरतमंद किसान को वे दे देते हैं या कुछ कीमत लेकर बेच देते हैं। क्षेत्र के काछीकला, हिकमा, नौसेमरघाट, फैजुल्लाहपुर, जहनियापुर, सोड़सर, भदसा मानोपुर, सहरोज आदि गांवों के किसान सबसे ज्यादा धान की नर्सरी को लेकर परेशान हैं। इन किसानों की नर्सरी डूबकर नष्ट हो गई है। नर्सरी कहां से लाई जाए इसे लेकर किसानों के कुनबे में हर कोई अपना सिर धुन रहा है। मायके से लेकर ससुराल तक फोन करके पता किया जा रहा है कि धान की नर्सरी मिल जाएगी क्या। टेंपू, मैजिक व ट्रैक्टर-ठेला आदि पर दूर-दराज से नर्सरी मिलने पर किसान लेकर आ रहे हैं और किसी तरह अपने कुनबे के आहार का इंतजाम करने की जुगत में लगे हैं। धान की नर्सरी एक मंडे खेत की रोपाई के लिए मुश्किल से 600 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक में मिल पा रही है, वह भी मिल ही नहीं रही है तो कीमत की क्या बात।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप