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फूट पड़ा हर ओर दैवीय अपूर्व ऊर्जा का स्त्रोत

ऋतुओं के संधिकाल में दैवीय आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों के जागरण के महापर्व वासंतिक नवरात्र की महाष्टमी व महानवमी। चहुंओर छाया रहा भक्ति का उल्लास।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 04:36 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 09:32 PM (IST)
फूट पड़ा हर ओर दैवीय अपूर्व ऊर्जा का स्त्रोत
फूट पड़ा हर ओर दैवीय अपूर्व ऊर्जा का स्त्रोत

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जागरण संवाददाता, मऊ : ऋतुओं के संधिकाल में दैवीय, आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों के जागरण के महापर्व वासंतिक नवरात्र की महाष्टमी व महानवमी। चहुंओर छाया रहा भक्ति का उल्लास। छलकती रही श्रद्धा, बहता रहा आस्था का ज्वार। शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबे के मंदिरों में दर्शन-पूजन को उमड़ा भक्तों का अंतहीन रेला। घर-घर में गूंजते श्री दुर्गा सप्तशती के मंत्रपाठ- 'या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:'। मानों हर ओर अपूर्व ऊर्जा, अपार शक्ति का स्त्रोत फूट पड़ा हो। आम हो या खास, सभी मां के चरणों में श्रद्धावनत थे।

आठ दिनों से चले आ रहे अनुष्ठान व्रत अंतिम चरण में आ पहुंचे। अनेक स्थानों पर कन्यापूजन के भी आयोजन हुए। इन धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्णाहुति शनिवार को कर दी गई। हवन-पूजन के बाद आठ दिनों से व्रत धारण किए साधक पूर्णाहुति के पश्चात फलाहार किया। महाष्टमी में अंतिम नवरात्र का रखने वाले तथा नौ दिवसीय व्रतधारी श्रद्धालु भी रविवार को अन्नाहार ग्रहण कर व्रत का पारण करेंगे। नवरात्र का अंतिम दिन होने के चलते सभी देवी मंदिरों में रविवार की सुबह से ही दर्शन-पूजन के लिए भीड़ उमड़ने लगी थी, पूरा माहौल देवीमय रहा। भक्तों ने घरों में तथा मंदिरों में आस्थापूर्वक कन्या पूजन व कन्या भोज के आयोजन किए।

व्रत अनुष्ठान का अंतिम दिवस होने के नाते साधक पूरे दिन व्यस्त रहे। कई मंदिरों में देवी जागरण का आयोजन किया गया। आजमगढ़ तिराहा स्थित सिद्धेश्वरी मां दुर्गा मंदिर, फातिमा मोड़ स्थित दुर्गा मंदिर व भीटी स्थित शेरावाली मंदिर में व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने दिनभर विशेष पूजा अर्चना की तो मां शीतला धाम और वनदेवी धाम में उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला शाम तक कम होने का नाम नहीं ले रहा था। मां वनदेवी धाम सहित जनपद के सभी देवी मंदिरों में मां की दिव्य छवि के दर्शन-पूजन को जन सैलाब उमड़ा रहा। प्रथम और अंतिम दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने भी अष्टमी की तिथि शनिवार को ही होने के नाते इसी दिन व्रत रखा। सभी व्रती रविवार की सुबह महानवमी समाप्त होने के बाद व्रत का पारण करेंगे। इसी के साथ आठ दिनों से चले आ रहे सभी धार्मिक-आध्यात्मिक अनुष्ठानों की पूर्णाहुति कर दी गई। हर ओर से हवन-पूजन के बाद हवि की दिव्य सुगंध यज्ञकुंड से उड़ रहे पवित्र धुएं के साथ सभी की घ्राणेंद्रिय में पहुंचकर उन्हें दैवीय शक्ति की दिव्य अनुभूति करा रही थी। कुछ स्थानों पर पूर्णाहुति का कार्यक्रम रविवार की सुबह भी उदयानवमी तिथि में किया जाएगा।


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