सजे चर्च, अस्पताल, हर ओर छलकी खुशियां
ईसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु यीशु की जयंती यानि क्रिसमस का पर्व बुधवार को उत्साह व उल्लास के बीच मनाया गया। इस मौके पर फातिमा अस्पताल में प्रभु यीशु की झांकी देखने के लिए पूरा नगर उमड़ पड़ा।
जागरण संवाददाता, मऊ : ईसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु यीशु की जयंती क्रिसमस का पर्व बुधवार को उत्साह व उल्लास के बीच मनाया गया। इस मौके पर फातिमा अस्पताल में प्रभु यीशु की झांकी देखने के लिए पूरा नगर उमड़ पड़ा। कई स्थानों पर इसाई संस्थाओं के अलावा अन्य सामाजिक संस्थाओं के लोगों द्वारा भी उत्साहपूर्वक कार्यक्रमों के आयोजन हुए।
मुख्य पर्व पर बुधवार को फातिमा अस्पताल समेत जनपद में अनेक स्थानों पर स्थित चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। गिरजाघरों के साथ ही नगर के फातिमा स्कूल, अमरवाणी संस्थान, मुंशीपुरा, व इंदारा के कुष्ठ मिशन, संत फ्रांसिस स्कूल में आकर्षक सजावट की गई। बिजली की आकर्षक झालरों से पूरा परिसर जगमगा उठा। फातिमा अस्पताल की डॉ. जूड ने बताया कि क्रिसमस इसाई धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हमें बताता है कि मानव जाति का उद्धार ही ईश्वर की पहली प्राथमिकता है। अत: जो स्वयं का परिमार्जन करता है और दूसरों के कष्टों का निवारण करता है, वही ईश्वर के सर्वाधिक निकट है। यह त्योहार हमें ईश्वर के प्रेम, आनंद एवं मानव के उद्धार का संदेश देता है। यह पर्व आज से 2018 वर्ष पूर्व प्रभु यीशु के जन्म की खुशी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। प्रभु यीशु का जन्म बेथलेहम के गोशाले में हुआ था। उनकी माता मरियम व पिता युसूफ थे। पवित्र बाइबिल के अनुसार ईश्वर के नबी इसायस ने भविष्यवाणी की थी कि इस दुनिया में एक राजकुमार जन्म लेगा और उसका नाम एम्मानुएल रखा जाएगा। जिसका अर्थ है 'ईश्वर हमारे साथ है।' यह भविष्यवाणी सच साबित हुई और यीशु मसीह का जन्म हुआ। अस्पताल की सिस्टर लिली ने बताया कि ईसा मसीह प्रेम का संदेश लेकर दुनिया में आए थे। उन्होंने दीन-दुखियों की सहायता करने, प्रेम भाव से रहने, लालच न करने, जरूरतमंदों की मदद करने की सीख दी।