चिकित्सा जगत में डीएवी के छात्रों का जलवा
वर्ष 1940 से स्थापित शहर के डीएवी इंटर कालेज के छात्रों ने यूं तो हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है, लेकिन चिकित्सा व्यवसाय के लोग तो शायद ही कभी डीएवी को भुला पाएं।
जागरण संवाददाता, मऊ : वर्ष 1940 से स्थापित शहर के डीएवी इंटर कालेज के छात्रों ने यूं तो हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है लेकिन चिकित्सा व्यवसाय के लोग तो शायद ही कभी डीएवी को भुला पाए। चिकित्सा जगत में एक-दो नहीं बल्कि अब तक कई दर्जन नामचीन डाक्टरों ने डीएवी की उत्कृष्ट शैक्षणिक व प्रशासनिक व्यवस्था को गौरवान्वित होने का मौका दिया है। कई ऐसे डाक्टर हैं जिनकी शोहरत का परचम पूर्वांचल सहित प्रदेश स्तर पर फहरा रहा है।
प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ व शारदा नारायण हास्पीटल के प्रबंध निदेशक डा.संजय ¨सह ने अपनी स्कूली शिक्षा शहर के डीएवी इंटर कालेज से ही ग्रहण किया है। अपने व्यवसायिक कौशल में माहिर डा.संजय के पास आज जिले के ही नहीं बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग इलाज कराने आते हैं। वहीं, डीएवी से निकले डा. सत्यानंद राय की लोकप्रियता भी आस-पास के कई जनपदों में एक फीजिशियन के रूप में है। चिकित्सा जगत वह कोई विशेषज्ञता नहीं है जिनमें डीएवी से निकले छात्रों की दखलंदाजी न हो। डीएवी से ही निकले डा. विनय कुमार गुप्ता ने बालरोग विशेषज्ञ के रूप में जिले के साथ-साथ पड़ोसी जनपदों में अपनी लोकप्रियता कायम की है। स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में डा. ऊषा आर्या और फीजिशियन के रूप में डा. रीतेश अग्रवाल ने अपनी विशेषज्ञता की अमिट छाप छोड़ी है। इनके अलावा फातिमा के डा. आशुतोष त्रिपाठी सहित शहर के कई चिकित्सकों की प्रारंभिक शिक्षा संबंध डीएवी से रहा है। डा. सत्यानंद राय ने बताया कि डीएवी का अनुशासन और अध्यापकों का समर्पण बेमिशाल रहा है। जिन छात्रों ने विद्यालय की गुणवत्तायुक्त शिक्षा का सही लाभ उठाया वे अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता का इतिहास लिख रहे हैं। हमारा अनुशासन सबके लिए एक है। अनुशासन से कोई समझौता किसी के लिए नहीं किया जाता है। शिक्षकों को अपनी योग्यता के अनुरूप छात्रों को अधिकतम देने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया जाता है। हमारी मेहनत छात्रों से ही गौरवान्वित होती है।
- देवभाष्कर तिवारी, प्रधानाचार्य, डीएवी इंटर कालेज।