ट्रेनों में टूट रहा भीड़ का रिकार्ड, संकट
जागरण संवाददाता मऊ महानगरों से आने वाली ट्रेनों में भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा
जागरण संवाददाता, मऊ : महानगरों से आने वाली ट्रेनों में भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। जनरल व स्लीपर बोगियों में चढ़ना-उतरना मुश्किल होता जा रहा है। ट्रेन में बैठने व उतरने में लोगों की शरीर छिलने लगी है। कुल मिलाकर दो वर्ष बाद स्थिति वैश्विक महामारी को लेकर लगाए गए लाकडाउन से पहले वाली हो गई है। कोरोना प्रोटोकाल के अनुपालन की शर्तें महज कागजी साबित हो रही हैं। न तो स्टेशन और न ही ट्रेन की बोगी में किसी को मास्क लगाए देखा जा रहा है।
दो वर्ष बाद छुट्टियों का यह पहला दौर है जब ट्रेनों में होने वाली भीड़ लाकडाउन के पहले के दिनों की याद दिलाने लगी है। कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगवाने के बाद वैश्विक महामारी को लेकर लोगों का भय लगभग समाप्त सा हो गया है। प्लेटफार्म से लेकर ट्रेन की बोगियों तक रेलवे के सामान्य निर्देश के बावजूद लोगों को मास्क लगाते नहीं देखा जा रहा है। हालांकि रेलवे की तरफ से ट्रेनों में बैठने से पहले कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने की शर्त रखी गई है, लेकिन पूरी ट्रेन में दस-पांच लोगों को इसका अनुपालन करते देखा जा रहा है। प्रतिदिन स्टेशन पर आने वाले यात्रियों के औसत आंकड़ें की बात करें तो 20 मई के बाद यह आंकड़ा पिछले दो वर्षों का रिकार्ड तोड़ते हुए सामान्यत: 10 हजार यात्री प्रतिदिन के मुकाबले बढ़कर 15 से 20 हजार यात्री प्रतिदिन हो गया है। जनरल व वेटिग टिकट लेकर बैठने वालों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि स्लीपर कोच में भी लोगों को खड़ा होने की जगह नहीं बच रही है। ----------
स्कूलों की छुट्टियां शुरू होने के बाद भीड़ बढ़ी है। सफर में सिर्फ कोरोना ही नहीं अन्य बीमारियों के प्रति भी सतर्क रहते हुए लोगों को बचाव के उपाय करने चाहिए।
- अखिलेश कुमार सिंह, डीसीआइ, मऊ जंक्शन।