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सहकारी व कोआपरेटिव बैंक का हो विलय

प्रदेश के 50 जिला सहकारी बैंक प्रदेश सरकार की नीतियों के अंतर्गत वित्त पोषण का एकमात्र बैंकिग वित्तीय संसाधन है। प्रदेश के सहकारी विभाग एवं शीर्ष बैंक कोआपरेटिव के गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के अंतर्गत इन बैंकों में बैंकिग के मूलभूत सिद्धांतों की अवहेलना की जाती है। इससे यह बैंक वित्तीय संकट में आ जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 06:53 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 06:53 PM (IST)
सहकारी व कोआपरेटिव बैंक का हो विलय
सहकारी व कोआपरेटिव बैंक का हो विलय

जागरण संवाददाता, मऊ : प्रदेश के 50 जिला सहकारी बैंक प्रदेश सरकार की नीतियों के अंतर्गत वित्त पोषण का एकमात्र बैंकिग वित्तीय संसाधन है। प्रदेश के सहकारी विभाग एवं शीर्ष बैंक कोआपरेटिव के गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के अंतर्गत इन बैंकों में बैंकिग के मूलभूत सिद्धांतों की अवहेलना की जाती है। इससे यह बैंक वित्तीय संकट में आ जाते हैं। विगत में केंद्र व राज्य सरकार ने 16 बैंकों को वर्ष 2016 में वित्तीय सहायता प्रदान की थी लेकिन सहकारी विभाग, शीर्ष बैंक व नाबार्ड की नीतियों के कारण यह बैंक सुचारू रूप से नहीं चल पाए। इसको लेकर कोआपरेटिव बैंक इंपलाइज यूनियन ने आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता लखनऊ को ज्ञापन भेजा है।

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मांग किया है कि 50 जिला सहकारी बैंकों व कोआपरेटिव बैंक का विलय किया जाए, 16 बैंकों को चलाने के लिए प्रदेश स्तरीय कार्यान्वयन कमेटी द्वारा व्यवहारिक निर्णय लिया जाए, कैडर अधिकारियों की तरह समस्त 50 बैंकों के समान वेतन लागू किया जाए, उच्च न्यायालय द्वारा ग्रेच्यूटी परिपत्र सी पर लगाई गई रोक कार्यान्वयन किया जाए, प्रदेश में बैंकों में हुए गबन, वित्तीय अनियमितताओं के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए, वर्ग एक का प्रोन्नत वेतनमान का संशोधन किया जाए तथा बैंकों में इंसेंटिव स्कीम पुन: लागू किया जाए आदि मांग की गई। ज्ञापन सौंपने वालों में यूनियन के मंत्री सुशील कुमार पांडेय आदि शामिल थे।


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