निर्माण इकाई जेपी एसोसिएट्स पर लटकी तलवार
पड़ोसी मित्र देश नेपाल को सीधे जोड़ने वाला वाराणसी-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-29 को फोरलेन में तब्दील करने की केंद्र सरकार की निर्धारित समय सीमा बीते अक्टूबर माह में ही समाप्त हो गई।
जागरण संवाददाता, मऊ : पड़ोसी मित्र देश नेपाल को सीधे जोड़ने वाला वाराणसी -गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-29 को फोरलेन में तब्दील करने की केंद्र सरकार की निर्धारित समय सीमा बीते अक्टूबर माह में ही समाप्त हो गई। पिछले कई माह से निर्माण कार्य 36 फीसद पर रूका हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में शामिल इस राजमार्ग के निर्माण में कभी प्रशासन तो कभी खुद निर्माण इकाई रोड़ा बना हुआ है। पिछले छह माह से फोरलेन निर्माण इकाई जेपी एसोसिएट्स आर्थिक मंदी की मार से जूझ रहा है। इसका नतीजा है कि निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है। केंद्र सरकार की फोरलेन निर्माण की समय सीमा समाप्त होने के बाद फिर एक वर्ष का समय बढ़ा कर दिसंबर 2020 कर दिया गया है। वर्तमान परिस्थितियों में एनएचएआइ को 12 माह में 64 फीसदी कार्य पूर्ण करना असंभव सा प्रतीत हो रहा है। इसको लेकर अब एनएचएआइ अब किसी कोताही के मूड में नहीं है। एनएचआइ कार्यालय गोरखपुर ने निर्माण इकाई के प्रगति रिपोर्ट को दिल्ली मुख्यालय भेज दिया है। अब जल्द ही दिल्ली मुख्यालय कुछ बड़ी कार्रवाई कर सकती है।
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डेढ़ दशक से उपेक्षित था राजमार्ग
पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील यह राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग डेढ़ दशक से उपेक्षा का शिकार था। इसे फोरलेन बनाए जाने की जनता की आस केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद पूरी हुई। फोरलेन में परिवर्तन के आदेश के बाद एनएचएआइ की तैयारियां जोर नहीं पकड़ पा रही थीं। वर्ष 2017 में प्रदेश में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद तमाम विभागों में अटके अवरोध दूर किए जा सके और इसका निर्माण शुरू हो सका। इनसेट--
दो वर्ष में महज 36 फीसदी हुआ निर्माण
लगभग 2500 करोड़ निर्माण की लागत से बनने वाले अप्रैल 2017 में शुरू इस फोरलेन की इस परियोजना को पूरा कर लेने की अवधि 31 अक्टूबर 2019 तय की गई। 30 माह यानि अक्टूबर 2019 में रोड, अंडरपास, पुल, बाइपास आदि का निर्माण पूरा करना था। समय सीमा लगभग पूरी होने के करीब है और काम अभी भी 64 फीसदी कार्य शेष है। छह माह पूर्व कार्यदायी संस्था जेपी एसोसिएट्स आर्थिक संकट में फंस गई। इसके चलते निर्माण ठप रहा। एनएचएआइ ने कार्यदायी एजेंसी जेपी एसोसिएट को काम में तेजी लाने के लिए कई बार नोटिस जारी किया। कोई सुधार न होने पर मार्च 2019 से भुगतान रोक दिया और उसके कार्यदायी एजेंसी बने रहने के औचित्य पर अंतिम फैसले के लिए उसकी फाइल दिल्ली हेडक्वार्टर मंगा ली गई। अंतत: एनएचएआइ ने कार्यदायी एजेंसी को बकाया भुगतान करते हुए समय देने का फैसला लिया। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर 2020 तक की समय सीमा निर्धारित की गई। अब जबकि आधा जनवरी माह भी बीत गया परंतु निर्माण तेजी नहीं पकड़ पा रहा है।
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12 माह में कैसे होगा 94 किमी निर्माण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक गृह क्षेत्र गोरखपुर को सीधे जोड़ने वाला फोरलेन का निर्माण समय से नहीं हो पाएगा। केंद्र सरकार का निर्देश था कि अक्टूबर 2019 तक फोरलेन चलने योग्य तैयार हो जाए परंतु आंकड़े दूर-दूर तक इसके गवाही नहीं देते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-29 की कुल दूरी 215 किलोमीटर है। इसमें 85 किलोमीटर एनएएचआई वाराणसी परिक्षेत्र तथा 130 किलोमीटर गोरखपुर परिक्षेत्र में आता है। बीते दो वर्षों में गोरखपुर परिक्षेत्र में मात्र 36 किलोमीटर फोरलेन का ही निर्माण हो पाया है। ऐसे में दिसंबर माह तक 94 किलोमीटर का निर्माण करा पाना असंभव दिख रहा है।
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एक नजर में फोरलेन
कुल लागत - 2500 करोड़
-लंबाई : 215 किमी
-बाईपास : 09
-बड़े पुल : 15
-छोटे पुल : 34
-फ्लाईओवर : 07
-ओवरब्रिज : 05
-टोल प्लाजा : 03
-रोड जंक्शन : 23
36 किमी - फोरलेन का हुआ निर्माण वर्जन--
'दिल्ली मुख्यालय द्वारा दिसंबर 2020 तक निर्माण पूर्ण करने की समय सीमा तय है। कार्य में तेजी लाने के लिए लगातार निर्माण इकाई जेपी एसोसिएट्स को लिखा जा रहा है, इसके बावजूद कार्य गति नहीं पकड़ रहा। निर्माण इकाई की प्रगति रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को भेज दिया गया है। जल्द बड़ा फैसला मुख्यालय करेगा।'
- श्रीप्रकाश पाठक, परियोजना प्रबंधक एनएएचआई गोरखपुर।