मांगलिक आयोजनों को लेकर तत्काल टिकट की मारामारी
वेटिग टिकट पर ही करना पड़ रहा संतोष रोज लौट रहे सैकड़ों लोग - महानगरों की ओर जाने वाली ट्रेनों में स्लीपर-जनरल बोगी एक समान - जनरल बोगी के प्रवेश द्वार पर ही खड़े होकर लोग कर रहे सफर
जागरण संवाददाता, मऊ : नवंबर माह में मांगलिक आयोजनों के शुरू होने के बाद आरक्षित टिकटों की मांग बढ़ गई है। महानगरों में आयोजित वैवाहिक समारोहों में जाने के लिए बड़ी संख्या में लोग ई-टिकट बुक करने वाले एजेंटों व रेलवे की आरक्षण खिड़की पर पहुंच रहे हैं लेकिन इक्का-दुक्का लोगों को ही टिकट मिल पा रहा है। किसी-किसी दिन तो यात्रियों को नेटवर्क में गड़बड़ी होने पर एक भी टिकट नहीं मिल पा रहा है। उधर, महानगरों की तरफ आने-जाने वाली ट्रेनों का हाल यह है कि स्लीपर और जनरल बोगी में लगभग एक समान भीड़ रह रही है।
सुबह के समय तत्काल टिकट की खिड़की पर प्रतिदिन सैकड़ों की भीड़ लग रही है। टिकट के लिए लोग ई-टिकट बेचने वाले एजेंटों के साथ ही रेलवे की आरक्षण खिड़की पर भी अपने प्रतिनिधि लगा रहे हैं। बिना आरक्षित टिकट ट्रेनों में सफर करना इतना मुश्किल हो गया है कि जनरल बोगी में जहां गेट के पायदान पर झूलकर लोग सफर कर रहे हैं, वहीं स्लीपर बोगी की फर्स पर भी बैठने की जगह नहीं बच रही है। आरक्षित टिकट न मिलने पर बड़ी संख्या में लोग वेटिग का टिकट लेकर ही सफर कर रहे हैं। तत्काल टिकट की कतार में पहला या दूसरा नंबर रहे, इसे लेकर कई-कई यात्री तो आरक्षण खिड़की के पास ही रात से ही सो रहे हैं। साबरमती एक्सप्रेस, दादर, लिच्छवी, कृषक और उत्सर्ग एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के आरक्षित टिकट की सबसे ज्यादा मारामारी है। वर्जन ..
दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जाने वाली किसी ट्रेन में नवंबर माह में कोई जगह नहीं है। नवंबर माह की कुछ तारीखों पर तो नो रूम की स्थिति सामने आ गई है। तत्काल टिकट दो-तीन ही बन पा रहे हैं, तब तक वेटिग हो जा रही है।
- नूर आलम, सीआरएस, मऊ जंक्शन।