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कौशिल्या के जन्मे हो श्रीराम, अवध में बाजे बधइया..

श्रीरामनवमी-- फोटो-12 से 14- कौशिल्या के जन्मे हो श्रीराम अवध में बाजे बधइया..

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 06:13 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 09:35 PM (IST)
कौशिल्या के जन्मे हो श्रीराम, अवध में बाजे बधइया..
कौशिल्या के जन्मे हो श्रीराम, अवध में बाजे बधइया..

जागरण संवाददाता, मऊ : 'भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी, हरषित महतारी मुनि मन हारी, अछ्वुत रूप बिचारी। लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुज चारी, भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिधु खरारी..' शनिवार की दोपहर 12 बजते ही इस मनोहारी भजन के साथ मंदिरों में घंटा-घड़यिाल बजने लगे, अपूर्व भक्ति का स्त्रोत फूट पड़ा। दिव्य आरती और भक्ति से सराबोर आस्था के प्रवाह में वहां उपस्थित सभी नर-नारी बह उठे। आंखे बंद, हाथों से तालियों की हल्की थपकी और श्रद्धा के वशीभूत झूमते लोग। महाआरती का यह प्रकरण समाप्त होते ही कमान महिलाओं ने संभाल ली। सोहर की स्वरलहरियां गूंजने लगीं, 'अवध में प्रकटे हो श्रीराम, चहुंओर बाजे बधइया..।' दरअसल इन मंदिरों में चैत्र शुक्ल नवमी यानि श्रीरामनवमी पर भगवान श्रीराम के प्राकट्योत्सव और उनके तीन अनुजों के जन्मोत्सव भव्य आयोजन किए गए। अनेक घरों में भी श्रीराम भक्तों ने प्रभु प्राकट्योत्सव पर अनुपम झांकियां सजाईं।

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नगर के शीतला माता धाम, दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर, कतुआपुरा स्थित श्रीराम मंदिर, पावर हाउस कॉलोनी स्थित श्रीराम मंदिर और अनेक गांवों में स्थित श्रीराम-जानकी मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा की गई थी। भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की विधिवत तैयारियां की गई थीं। अपूर्व मनोहर, झांकियां सजाई गई थीं। संपूर्ण तैयारी के साथ भक्तगण दोपहर के 12 बजने की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही घड़ी में तीनों सुइयां एक सीध में हुईं और भुवन भाष्कर नभ के ठीक मध्य में धरती की सीध में हुए, मंदिरों में शंख, घंटे-घड़यिाल बजने लगे। भगवान की आरती शुरू हो गई। आरती संपन्न होते ही भक्तजनों ने श्रीरामस्त्रोतम का पाठ किया और फिर कमान संभाल ली नारी शक्ति ने। एक से एक सोहर की मधुर स्वरलहरियों से वातावरण गूंजने लगा। 'कौशिल्या के जन्मे राम, कैकेई के भरत, सुमित्रा के लक्षिमन, शत्रुघन हो..' 'जुग-जुग जिया हो ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो, ललना, लाल होइहें, कुलवा के दीपक..' और फिर सभी भक्तगण प्रभु की भक्ति में डूब गए, नृत्य, गायन और वादन का यह क्रम देर शाम तक जगह-जगह जारी रहा। पंडित देवेंद्र मिश्र ने प्रभु श्रीराम के प्राकट्य, श्रीरामनवमी के महात्म्य व रामभक्ति के प्रभावों का वर्णन किया।


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