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बाजार में सज गई बांस की दउरी व सुपली

बांस की बनी दउरी व सुपली छठ पूजा के महत्वपूर्ण अंग हैं। महापर्व के अवसर पर बाजारों में इनकी दुकानें सजने लगी हैं। कारीगर मांग के सापेक्ष अधिक से अधिक दउरी व सुपली के निर्माण में अपनी पूरी ताकत झोंक दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 10:28 PM (IST)
बाजार में सज गई बांस की दउरी व सुपली
बाजार में सज गई बांस की दउरी व सुपली

जागरण संवाददाता, अदरी (मऊ) : बांस की बनी दउरी व सुपली छठ पूजा के महत्वपूर्ण अंग हैं। महापर्व के अवसर पर बाजारों में इनकी दुकानें सजने लगी हैं। कारीगरों ने मांग के सापेक्ष अधिक से अधिक दउरी व सुपली के निर्माण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी हैं। दूसरी ओर पर्व के पूर्व ही अधिक मांग को देखते हुए बांस की कीमतें भी बढ़ गई हैं। जिस तरह से गांवों से बांस की खूंटियां खत्म होती जा रही हैं आगामी वर्षो में उनके कटने की रफ्तार यही रही तो सुपली और दउरी तैयार करने के लिए कारीगरों को अन्य राज्यों पर निर्भर होना पड़ेगा, इससे उनकी कीमतों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है।

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छठ में पूजा की सामग्री व पकवान आदि ले जाने के लिए बांस की दउरी का इस्तेमाल होता है। साथ ही सुपली में फल नारियल पकवान आदि रखकर सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया जाता है। स्थानीय गांव नवपुरा में दउरी सुपली बनाने वाले बहादुर के अनुसार एक बांस 300 से 350 रुपये में आता है। इसमें चार पांच दउरी ही तैयार हो पाती है। ऊपर से पूरा परिवार पूरे दिन इसी काम में लगा रहता है। उनकी भी मजदूरी जोड़ दें तो एक दउरी की कीमत 100 रुपये पहुंच जाती है। फिलहाल 100से 150 रुपये तक में दउरी बिक रही है। बांस की कमी के चलते सुपली की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। तैयारियां जोरों पर

डाला छठ पर्व की तैयारिया जोरों पर चल रही हैं। जगह-जगह पूजा में लगने वाले सामानों की खरीद बिक्री का दौर शुरू हो गया है। इसके साथ ही पूजा के लिए सुपली और दउरा बेचने वाले भी दुकानें सजा लिए हैं। पूजा का सामान खरीदने के लिए बाजार में व्रती महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी हैं। तालाबों, पोखरों के घाटों पर लोगों द्वारा अपनी-अपनी बेदियां बनाई जा रही हैं। बेदियां बनाकर लोग उस पर अपना नाम व व्रती महिलाओं का नाम लिखकर अपनी जगह सुरक्षित करने में जुट गए हैं।

स्थानीय नगर पंचायत स्थित शिव मंदिर, स्टेशन रोड पर पोखरी के किनारे, अदरी चट्टी शिव मंदिर पोखरे के किनारे बेदियां बननी शुरू हो गई हैं। ईओ अमरनाथ राम की तरफ से पोखरियों की साफ-सफाई शुरू करा दी गई है।


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