चरमराई अस्पताल की व्यवस्था, सीएमएस ने संभाली कमान
जिला अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा आंख कान नाक दांत और आयुष डॉक्टर तक सम्भाल रहे हैं। जहांतक ओपीडी सेवा का सवाल है तो चर्म रोग विशेषज्ञ फिजिशियन की सेवा दे रहे हैं. स्वीपर बाबू से लेकर सर्जन की भूमिका निभाते हैं। कुल मिलाकर जिला अस्पताल की सेहत ठीक नहीं है। ये अस्पताल खुद बीमार हैं.
जागरण संवाददाता, मऊ : जिला अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा आंख, कान, नाक, दांत और आयुष चिकित्सक संभाल रहे हैं। जहां तक ओपीडी सेवा का सवाल है, तो चर्म रोग विशेषज्ञ फिजिशियन की सेवा दे रहे हैं। कुल मिलाकर जिला अस्पताल की सेहत ठीक नहीं है। यह अस्पताल खुद बीमार हैं। जिले के चिकित्सक से लेकर अधिकारियों तक हर मौसम में नोटों की बस फसल काट रहे हैं। शुक्रवार की दोपहर इमरजेंसी में किसी चिकित्सक के नहीं होने से खुद सीएमएस को कमान संभालनी पड़ी।
सदर अस्पताल का आलम और मंजर जमींदोज हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल-पट्टी खोल रहा है। यहां चिकिसक ना होने के कारण सीएमएस डा. बृज कुमार को ही इमरजेंसी की कमान संभालना पड़ा। जिला अस्पताल में चिकित्सकों की मनमानी से परेशान होकर सीएमएस ने शुक्रवार को इमरजेंसी की कमान संभाल ली। कई दिनों से हो रही मरीजों की फजीहत को देखकर सीएमएस को कोई निदान नहीं निकाल पा रहे थे। इसलिए मजबूर होकर सीएमएस को इमरजेंसी में मरीजों का उपचार करना पड़ा। अगर इसी तरह से चिकित्सक अपनी मनमानी करते रहे थे, तो प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। जबकि जनपद की बहुसंख्य आबादी जिला अस्पताल पर ही निर्भर है। जनपद के कोने-कोने से मरीज यहां आते हैं और चिकित्सकों की मनमर्जी का शिकार होते हैं।
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इमरजेंसी में डा. राकेश की ड्यूटी थी, वे थे भी। एक भर्ती मरीज को हार्ट को दिक्कत थी तो देखने के लिए चला गया।
-डा. बृजकुमार, सीएमएस जिला अस्पताल।