Move to Jagran APP

चुटकी भर नमक के लिए गिरफ्तार हुए अलगू

सवाल नमक या इसकी कीमत का नहीं था। बीसवीं सदी के पूर्वाद्ध में यहां काबिज ब्रिटिश हुकूमत हमें गुलामी का अहसास कराने की चाल चली थी जिससे हमें अपने मुल्क के समुद्र से नमक बनाने का हक नहीं रह गया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 04:22 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 09:42 PM (IST)
चुटकी भर नमक के लिए गिरफ्तार हुए अलगू
चुटकी भर नमक के लिए गिरफ्तार हुए अलगू

शैलेश अस्थाना, मऊ :

loksabha election banner

सवाल नमक या इसकी कीमत का नहीं था। बीसवीं सदी के पूर्वाद्ध में यहां काबिज ब्रिटिश हुकूमत हमें गुलामी का अहसास कराने की चाल चली थी जिससे हमें अपने मुल्क के समुद्र से नमक बनाने का हक नहीं रह गया था। यह हमारे लिए चुनौती तो थी ही, इससे अधिक कहीं हमारी अस्मिता पर सवालिया निशान भी। ऐसे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 06 अप्रैल 1930 को दांडी में साबरमती के किनारे नमक बनाकर समस्त देशवासियों को आंदोलन का संदेश दिया। चुटकी भर नमक भारतीयों के स्वाभिमान का प्रतीक बन गया। इसकी बानगी देखने को मिली जब जनपद की माटी के सपूत पंडित अलगू राय शास्त्री ने हिडन नदी के किनारे गाजियाबाद में नमक बनाया। वर्ष 1930 में आज ही के दिन यानि 13 अप्रैल को इस रणबांकुरे को मेरठ के समीप गिरफ्तार किया गया। भारतीय इतिहास की इस अहम घटना की नींव 12 मार्च 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दांडी के लिए महज मुट्ठी भर देशभक्तों संग प्रस्थान कर रखी थी।

प्रारंभ में ब्रिटिश लार्ड वायसराय इरविन ने इसे हल्के तौर पर लिया। जब आंदोलन राष्ट्रव्यापी रूप लिया तो जड़ से समाप्त करने हेतु बापू पर ही नहीं समूचे राष्ट्र में नमक बनाने वालों पर भी पुलिस की लाठियां निर्दयता के साथ बरसने लगीं। लाठीचार्ज एवं गिरफ्तारी की नीति का असर ठीक विपरीत हुआ। स्वदेशी वस्तुओं के निर्माण एवं उपभोग पर रोक लगाकर भारतीय अर्थव्यवस्था पर समूचा नियंत्रण करने की अंग्रेजी हुक्मरानों की इस कुटिल चाल को भारतीय समझ चुके थे। ऐसे में जनपद (तत्कालीन जनपद आजमगढ़) की घोसी तहसील की क्रांतिकारी भूमि अमिला के रणबांकुरे पंडित अलगू राय शास्त्री (जो तब मेरठ में राजनीतिक गतिविधियां संचालित कर रहे थे) ने गाजियाबाद में हिडन नदी के किनारे नमक बनाने हेतु अस्वस्थ चल रहे चौधरी रघुवीर नारायण सिंह संग रणनीति बनाया। मेरठ के असौड़ा से 6 अप्रैल को सत्याग्रही जत्था निकाला। अस्वस्थ चौधरी तांगे में थे जबकि उपनेता के रूप में शास्त्री जी पैदल जत्थे का नेतृत्व करने लगे। 13 अप्रैल को लोनी में नदी के पानी से नमक बनाया गया। कांग्रेस नेताओं की मदद हेतु मेरठ से पहुंचे भारतीयों ने नमक की छोटी सी पुड़िया के लिए दिल खोलकर कीमत अदा किया। अंग्रेज हुकूमत हरकत में आई तो 13 अप्रैल को डीएसपी महेश चंद्र ने चौधरी रघुवीर एवं अलगू राय शास्त्री को गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजों की बौखलाहट का आलम यह कि गिरफ्तार इन नेताओं को विदा करने आये चौधरी चरण सिंह एवं गोपीनाथ अमन को भी पुलिस ने बंदी बना लिया। अगले दिन इन दोनों नेताओं को जेल भेजा गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.