आखिर किधर से आए और कहां चले गए हत्यारे
घोसी कोतवाली क्षेत्र के मादी सिपाह बाजार में दशहरे के दिन शिक्षिका मां व बेटे की हत्या लोगों के लिए अबूझ पहेली बनकर रह गई है।
जागरण संवाददाता, बोझी (मऊ) : घोसी कोतवाली क्षेत्र के मादी सिपाह बाजार में दशहरे के दिन शिक्षिका मां व बेटे की हत्या लोगों के लिए अबूझ पहेली बनकर रह गई है। लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि दिनदहाड़े इस जघन्य वारदात को अंजाम देने वाले हत्यारे आखिर किस रास्ते से आए और मां-बेटे को गोली मारने के बाद किधर से निकल गए। शिक्षिका का परिवार अपने जिस घर में रहता है, उसके भूतल पर एक चिकित्सक जयप्रकाश राय की डिस्पेंसरी है। प्रथम तल पर जाने के लिए डिस्पेंसरी की बगल से ही सीढ़ी बनी हुई है। बावजूद इसके अगल-बगल वालों को घटना की भनक तक नहीं लगी। हत्यारे किधर से आए, किस वाहन से आए और कैसे निकल गए, कोई नहीं जान सका।
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पुलिस की जांच पर टिकी लोगों की निगाहें
घटना के बाद पुलिस को सूचना देने पर मौके पर पहुंची डायल 100 के बाद एसओ दोहरीघाट रूपेश सिंह ने मौके पर पहुंचे। आनन-फानन में सीओ घोसी अनुपम कन्नौजिया सहित डाग स्क्वायड, फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। दो घंटे तक एसपी अनुराग आर्य, एडिशनल एसपी सहित क्राइम ब्रांच, एसओजी की पूरी टीम घटना स्थल पर एक-एक चीज की सघन जांच-पड़ताल में लगी रही। पुलिस घटना के विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही है।
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एक साथ घर से निकली मां-बेटे की अर्थियां
मृत शिक्षिका रेखा राय के परिजनों के लिए दशहरा हमेशा के लिए मनहूस बनकर आया। एक भाई से मां और भाई का साथ छिन गया। घर से एक साथ जब मां-बेटे की अर्थियां निकलीं तो सरयू के पावन तट पर एक साथ चिता भी सजी। यह देख हर हृदय चीत्कार कर उठा। सभी एक ही बात कह रहे थे कि आखिर हत्यारे की क्या दुश्मनी थी जो मां के साथ मासूम बेटे को भी नहीं बख्शा। क्योंकि परिवार की गांव व क्षेत्र में किसी से कोई दुश्मनी नजर नहीं आ रही है। घर पर मात्र सास-श्वसुर ही रहते हैं। मादी में ही ईंट-भट्ठा है। वह भी लगभग एक साल से बंद पड़ा है। मृतका शिक्षका थी और पति बच्चों के साथ लखनऊ में रहती थी। बच्चे भी वहीं पढ़ते थे। पति चंद्रशेखर व भाई रियल एस्टेट का काम वहीं रह कर करते थे।