आरटीआइ में संशोधन के खिलाफ एक्टिविस्टों में आक्रोश
सूचना अधिकार कानून संशोधन विधेयक-201
जागरण संवाददाता, मऊ : सूचना अधिकार कानून संशोधन विधेयक-2018 को रद करने की मांग को लेकर शुक्रवार को समाजसेवी व आरटीआइ कार्यकर्ता अर¨वद मूर्ति के नेतृत्व में दर्जनों सोशल एक्टिविस्टों ने शहर के आजमगढ़ मोड़ से लेकर कलेक्ट्रेट तक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान 'सूचना अधिकार कानून संशोधन विधेयक 2018 रद्द करो' तथा 'सूचना अधिकार कानून को मजबूत करो' आदि नारे खूब लगाए। कलेक्ट्रेट पहुंचकर एक्टिविस्टों ने राष्ट्रपति को संबोधित अपनी सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
कलेक्ट्रेट प्रांगण में आयोजित प्रतिवाद सभा को संबोधित करते हुए अर¨वद मूर्ति ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून विश्व के बेहतरीन कानूनों में से एक है। सरकारें सूचना अधिकार कानून से डरती हैं। इसलिए इसे प्रभावी और मजबूत बनाने की जगह चोर दरवाजे से बिना पूर्व विधायी परामर्श नीति का पालन किए संशोधन विधेयक ला रही हैं। यही नहीं, आयोग का संवैधानिक दर्जा और स्वायत्तता खत्म करते हुए लोक कार्मिक विभाग के अधीन करना चाह रही हैं।जस्टिस कृष्णा समिति की सिफारिश की आड़ में धारा 8 (जे) को भी हटाना चाहती हैं। अगर यह संशोधन पारित हो गया तो सूचना कानून अपाहिज हो जाएगा। कहा कि हम देशभर के सूचना अधिकार कार्यकर्ता जान की बाजी लगा कर इस संशोधन को रद्द कराएंगे। सूचना अधिकार कानून को किसी भी दशा में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। उदयप्रताप राय ने कहा कि किसी भी कानून मे संशोधन के लिए जो विधेयक सरकार लाती है, उसे संबंधित मंत्रालय या डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाता है और आम जनता की राय मांगी जाती है। बिना यह प्रक्रिया अपनाए यह संशोधन विधेयक असंवैधानिक है।इस अवसर पर सूचना अधिकार टास्क फोर्स के चेयरमैन कृष्णमोहन मल्ल, विनय कुमार राजभर, कैलाश ¨सह, प्रेमचन्द्र कौशल, जगनाथ ¨सह, अल्तमश अंसारी, गुलाबचंद्र, सोमनाथ कश्यप आदि ने भी संबोधित किया। विरोध मार्च में रूआब खान, अभिनव, शिवमूरत गुप्ता, गुडडू, रवीन्द्र कुमार, हरिवंश, कैलाश ¨सह, फादर आर.के.मसीह, बसंत कुमार, रणजीत मल्ल, संतोष मौर्या, अखिलेश यादव आदि शामिल थे।