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80397 पशुओं का निश्शुल्क टीकाकरण

पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशुओं को खुरपका व मुंहपका रोग से बचाव हेतु पशुपालन विभाग द्वारा अब तक 40696 पशु पालकों के 80397 पशुओं का निश्शुल्क टीकाकरण किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 10:29 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 10:29 PM (IST)
80397 पशुओं का निश्शुल्क टीकाकरण
80397 पशुओं का निश्शुल्क टीकाकरण

जागरण संवाददाता, मऊ : पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशुओं को खुरपका व मुंहपका रोग से बचाव हेतु पशुपालन विभाग द्वारा अब तक 40696 पशु पालकों के 80397 पशुओं का निश्शुल्क टीकाकरण किया गया है। हर तहसील में टीकाकरण के लिए टीमें लगाई गई हैं। इसमें तहसील मुहम्मदाबाद गोहना में 20000 पशुओं का निश्शुल्क टीकाकरण किया जा चुका है। यहां कुल छह टीमें बनाई गई है। शासन के निर्देशानुसार पशुओं का टैगिग भी की जा रही है। इसी दौरान टीकाकरण भी किया जा रहा है।

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उपमुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एके सिंह ने बताया कि खुरपका-मुंहपका रोग जुगाली करने वाले पशुओं में मुख्य रूप से गाय, भैंस, भेड़, बकरी एवं शूकरों में पाया जाता है। यह एक विषाणु जनित रोग है। यह रोग वर्षा ऋतु में अधिक होता है। यह रोग स्पर्श मात्र से रोग ग्रस्त पशु के लार से भी स्वस्थ पशु को रोग फैल सकता है। दूषित चारा-पानी, जूठा आहार, नांद, बर्तन एवं फर्श से भी यह रोग फैल सकता है। यह विषाणु उड़ने वाली चिड़ियों के पैरों में चिपक जाता है एवं एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी बीमारी फैल जाती है। रोग की अवधि दो से दस दिनों तक रहती है। इस रोग से बचाव हेतु टीकाकरण ही उपाय है। पशु पालन विभाग द्वारा यह टीकाकरण वर्ष में दो बार निश्शुल्क लगाया जाता है। चार माह से कम उम्र के पशु एवं आठ माह से अधिक उम्र के गर्भित पशुओं का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है। विकास खंड मुहम्मदाबाद गोहना में तीन टीमें करहां, मुहम्मदाबाद गोहना, धौरहरा बनाई गई है। टीकाकरण टीम में मुख्य रूप से डा. एके सिंह, डा. बैजनाथ प्रजापति, वेटनरी फार्मासिस्ट श्यामसुन्दर सोनकर, संजीव कुमार पांडेय, पशुधन प्रसार अधिकारी राजेश कुमार भारती, अजीत कुमार सिंह, नेबूलाल यादव शामिल हैं।

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लक्षण ....

-शरीर का तापक्रम अधिक

-मुंह, खुर एवं थनों में छाले

-भूख कम एनोरेक्सिया इत्यादि

-लगातार मुंह से लार गिरना

-मुंह से चपचपाहट की आवाज आना

-पशु का एक या अधिक पैर से लंगड़ाना

-शुकरों के नजल पर छाले

-पशु का खाने तथा चलने में असमर्थ रहना

-दुधारू पशुओं में दूध कम हो जाना

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जिन पशुओं को टैगिग हुई है, उन्हीं का टीकाकरण किया जाए। 15 नवंबर तक शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य पूर्ण करना अनिवार्य है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

-आरएन सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी


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