गांव में पसरा मातम, आरोपी घर छोड़कर फरार
मधुबन (मऊ) : स्थानीय थाना क्षेत्र के खड़िचा में भूमि विवाद को लेकर दोहरे हत्याकांड से पूरे गांव में म
मधुबन (मऊ) : स्थानीय थाना क्षेत्र के खड़िचा में भूमि विवाद को लेकर दोहरे हत्याकांड से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। दो महिला आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से मुख्य आरोपी घर छोड़ कर फरार हैं। गांव में पहुंच रहे पुलिस अधिकारियों के वाहन के सायरन और पुलिसकर्मियों की चहलकदमी सन्नाटे को तोड़ रही है।
क्षेत्र के खड़िचा में भूमि पर कब्जेदारी के मामूली विवाद में गुरुवार को दो लोगों की लाठियों से पीटकर हत्या कर दी गई। इससे पूरे गांव के लोग दहशत मे आ गए। हर कोई अपनी जुबान को बंद कर लिया है। कोई भी किसी के पक्ष या विपक्ष में बोलने से कतरा रहा है। बहुत कुरदने पर लोग सिर्फ यही बोल रहे हैं कि मामला इतना बड़ा नहीं था कि इसमें दो की हत्या कर दी जाय। वहीं कुछ लोग घटना के पीछे प्रशासन की लापरवाही को भी दोषी ठहरा रहे हैं। बहरहाल मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद पीड़ित पक्ष क्रिया कर्म मे जुटा है तो उनके घर पहुंच कर ढांढस बंधाने वालों का भी तांता लगा हुआ है। मौके पर पुलिस कैंप कर रही है। वहीं मुखबीर की सूचना पाकर पुलिस ने क्षेत्र के दरगाह स्थित सिकड़ीकोल मोड़ से दो महिला आरोपियों शारदा पत्नी धारा व सुमन पत्नी राजविशेन को गिरफ्तार करके चालान कर दिया है। मुख्य आरोपी धारा यादव सहित शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास में पुलिस जुटी हुई है।
घटना के समय बाहरी हमलावर कौन थे
खड़िचा में भूमि विवाद को लेकर की गई दोहरे हत्याकांड के समय हमलावरों की भीड़ में बाहरी लोग कौन थे। इसे लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। भूमि पर जिस समय धर्मदेव शर्मा द्वारा निर्माण कराया जा रहा था, उसके शुरुआती दौर में हल्का-फुल्का विवाद हुआ लेकिन मारपीट की नौबत नहीं उत्पन्न हुई लेकिन जब काफी संख्या में विपक्षी की तरफ से कुछ बाहरी लोग एकत्रित हो गए तो विपक्षी अचानक हमलावर हो गए और दो लोगों को मौत के घाट उतार दिए। मुकदमे में तो किसी बाहरी का जिक्र नहीं है लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मौके पर काफी संख्या मे बाहरी लोग भी थे।
काश विवाद को प्रशासन ने गंभीरता से लेता
वर्षों से चल रहे भूमि विवाद को प्रशासन ने गंभीरता से लेकर समय पर उसका निस्तारण करा दिया होता तो शायद दो लोगों की हत्या का सामना क्षेत्र को नहीं करना पड़ता। क्योंकि समाधान व तहसील दिवस में भी दोनों पक्ष इस मामले को पेश कर चुके थे। न्यायालय से मुकदमा जीतने के बाद धर्मदेव शर्मा ने कई बार भूमि पर कब्जा कराने के लिए प्रशासन का दरवाजा खटखटाया था। उसमें हैंडपंप भी लगाया गया लेकिन पुनर्निर्माण को प्रशासन द्वारा रोक दिया गया। पक्ष व विपक्ष जैसे-जैसे प्रशासन के पास पहुंचता रहा, प्रशासन विवाद का स्थायी हल निकालने की बजाय उसके पक-विपक्ष मे आदेश करता रहा।