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खोखले साबित हो रहे प्रशासकीय प्रयास

मऊ : जिले में ट्रैफिक की समस्या से जूझते लगभग सभी चौराहों-तिराहों पर प्रशासकीय प्रयास नाकाफी साबित ह

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 05:27 PM (IST)
खोखले साबित हो रहे प्रशासकीय प्रयास

मऊ : जिले में ट्रैफिक की समस्या से जूझते लगभग सभी चौराहों-तिराहों पर प्रशासकीय प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। यातायात पुलिस की कमी के साथ विभाग को मिले ब्रेड इनलाइजर यंत्र सहित रोड मापी स्पीडोमीटर यंत्र का प्रयोग नियमित रूप से किया ही नहीं जा रहा है। ऐसे में यह यक्ष प्रश्न है कि आखिर कैसे रुके दुर्घटना। कारण यातायात प्रबंधन का ढर्रा वही दो दशक पुराना होना ही है। ऊपर से आधी सड़क दुकानदारों के कब्जे में।

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यहां की जनसंख्या बढ़ने के अनुपात में न सड़कें बढ़ीं और न ही दुर्घटना रोकने के संसाधन। जितने स्टाफ हैं, शहर में ही यातायात कंट्रोल करने में उनकी फजीहत हो जाती है। ऐसे में वे घोसी, मुहम्मदाबाद गोहना, मधुबन, कोपागंज आदि कस्बों में नहीं जा पाते। स्वीकृत नियतन के हिसाब से देखें तो यहां पर 10 सिपाही, 3 हेड कांस्टेबिल और एक टीएसआई की तैनाती है। कहने को तो भरा पूरा स्टाफ है लेकिन व्यवहारिकता की धरातल पर यह कहीं फिट नहीं बैठता।

गाजीपुर तिराहा, आजमगढ़ मोड़, मिर्जाहादीपुरा, बाल निकेतन मोड़ और शहर के अंदर ही रोज लगने वाले जाम को नियंत्रित करने में ही इनका पूरा समय निकल जाता है। शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की चेकिंग के लिए ब्रेड इनलाइजर यंत्र तो है पर इससे रोज चेकिंग में स्टाफ की कमी रोड़ा बन जाती है। यही हाल रोड मापी यंत्र स्पीडोमीटर सहित अन्य यंत्रों का भी है। जानकार बताते हैं कि जिले में यातायात प्रबंधन के लिए वर्तमान में कम से कम 20 से 25 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती होनी चाहिए। इसके अलावा जिले के प्रमुख चट्टी-चौराहों व राज मार्गो पर संकेतक लगे हों, जो नियमित कार्य करें।

स्थानीय निवासी शैलेंद्र सिंह पिंटू, प्रमोद सिंह, भानू प्रकाश पांडेय, छेदी सिंह ने बताया कि यातायात में विभाग द्वारा तरह-तरह से इसके प्रति जागरुक बनाने के लिए किए जाने वाला प्रयास नाकाफी है। वाहन का चालान काटने या पोस्टर-पंपलेट आदि के माध्यम से लोगों को जागरुक करने का प्रयास सराहनीय है। सभी चौराहे-तिराहे पर यातायात पुलिस की लापरवाही भरी कार्य प्रणाली भी ट्रैफिक समस्या का कारण है। इस दिशा में तत्परता से कार्य करने पर समस्या का समाधान किया जा सकता है।

इनसेट--

ध्वस्त हो चुका है संकेतक

तिराहों-चौराहों पर यातायात संकेतक न लगे होने के चलते आम आदमी तो दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। इसके साथ ही जिले के अधिकांश चौराहे-तिराहे पर संकेतक लगाए ही नहीं गए हैं। जहां कहीं लगे भी उस पर पोस्टर आदि लगाए जाने से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी रहती है।


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