तीन माह से एसटीएफ के निशाने पर था गैंग
रोडवेज को चूना लगाने वालों की पहले की गई निगरानी, बसों में यात्री बन कर महीनों तक की रैकी, जुटाईं जानकारियां
योगेश जादौन, मथुरा: रोडवेज को मसल्स पावर की दम पर फर्जी टिकट बना चूना लगा रहा गैंग एसटीएफ के निशाने पर तीन माह से था। टीम ने इस पर हाथ डालने से पहले बसों में यात्री बनकर रैकी की। सभी की पहचान और गतिविधियों की जानकारी के बाद छापा मारा।
रोडवेज में टिकट माफिया का यह खेल लंबे समय से चल रहा था। इसके लिए पूरा गैंग काम कर रहा था। यह गैंग मथुरा से पचास किलोमीटर की परिधि में ही अपनी गतिविधियों को अंजाम देता था। इसके लिए गैंग के मास्टर माइंड संविदा कर्मी देवेंद्र ने पूरी तैयारी की थी। यात्रियों पर काबू करने के लिए किराए पर बॉक्सर भी रखे थे। यह बॉक्सर विभिन्न अखाड़ों के कथित पहलवान हैं। इन्हें इनके महत्व के हिसाब से चार से 15 हजार रुपये मासिक दिए जाते थे। यह गैंग हाथरस, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ में ही अपनी गतिविधियों को प्रमुख रूप से संचालित किए हुए था। इसके लिए अलग-अलग शहरों में तैनात रोडवेज के दबंग कर्मचारियों को भी साथ में मिला लिया गया था।
डिपो की सबसे अच्छी बस इस गैंग के कब्जे में रहती थी। स्टैंड से पांच किलोमीटर निकलने बाद बस में बॉक्सर सवार हो जाते थे। रोडवेज के एमडी को इस गतिविधि की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी। उन्होंने इस गैंग को काबू करने के प्रयास भी किए लेकिन सही सूत्र हाथ नहीं आ रहा था। इस पर एमडी पी. गुरुप्रसाद ने ही पहल कर मामला एसटीएफ को दिया। तीन माह से एसटीएफ इन डिपो की करीब आधा सैकड़ा बसों में यात्री बनकर घूमी। मथुरा की 13, हाथरस की छह और बुद्ध विहार की दस बसों की रैकी की। उन्हें सर्विलांस पर लगाया गया। उन्होंने चालक-
परिचालकों की हरकतों को न केवल दर्ज किया बल्कि बॉक्सर के संबंध में भी सारी जानकारी जुटा ली। इसके बाद एमडी से उनके पांच विश्वस्त साथियों की मांग की। रोडवेज के इन कर्मियों के साथ मंगलवार को इगलास में छापा मारा गया। इसके साथ ही करीब पांच टीमें विभिन्न स्थानों पर तैनात की गईं। रोडवेज सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस गैंग में अभी अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं। सर्विलांस में दर्ज कई अफसरों की जान
एसटीएफ ने इस गैंग के जुड़े सदस्यों की जानकारी जुटाने के बाद उनके नंबर सर्विलांस पर लगा दिए। इससे पता चला कि गैंग के सदस्यों की रोडवेज में तैनात एआरएम और आरएम स्तर के अफसरों से खूब बातचीत होती थी। एसटीएफ के पास कुछ ऐसी बातचीत भी टेप हैं, जिसमें इस गैंग के सदस्यों से अफसर धंधे की बात कर रहे हैं। एसटीएफ के हाथ में ऐसे कई अफसरों की कुंडली है। यह कुंडली खंगाली गई तो पूरा रैकेट सामने आ जाएगा। हालांकि एसपी एसटीएफ आलोक प्रियदर्शी मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाने से इंकार कर रहे हैं।