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देशभर में जल्द फैलेगी 'ब्रजगंधा' की सुगंध

योगेश जादौन, मथुरा: कभी ब्रज का बोझ कही जाने वाली विधवाएं जल्द ही ऐसा कुछ करने वाली हैं

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 10:48 PM (IST)Updated: Fri, 09 Mar 2018 10:48 PM (IST)
देशभर में जल्द फैलेगी 'ब्रजगंधा' की सुगंध

योगेश जादौन, मथुरा: कभी ब्रज का बोझ कही जाने वाली विधवाएं जल्द ही ऐसा कुछ करने वाली हैं कि जिससे न केवल बोझ शब्द से मुक्ति मिलेगी बल्कि उनके काम की सुगंध देशभर में फैलेगी। प्रदेश सरकार की ब्रज सुगंधा योजना के तहत चैतन्य विहार आश्रय सदन की 100 महिलाओं को मंदिरों से निकलने वाले फूलों से अगरबत्ती और सुगंध बनाने का प्रशिक्षण 13 मार्च से शुरू किया जाएगा। 25-25 के चार बैच में इन्हें प्रशिक्षित करने का काम एफएफडीसी करेगी।

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अकेले वृंदावन में ही इस समय दो हजार से अधिक विधवाएं निवास करती हैं। कई राज्यों से यहां आईं संवासिनें आश्रय सदनों में रहती हैं और दिन भर मंदिरों में भजन गाकर जो कुछ मिलता है, उससे गुजर करती हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कुछ संस्थाएं इनकी बेहतरी को आगे आईं, लेकिन इन्होंने भी उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में कुछ बेहतर नहीं किया। अब प्रदेश सरकार ने जिम्मेदारी ली है। जल्द ही यह विधवाएं मंदिरों के सामने भीख मांगने के बजाय प्रसाद के तौर पर इत्र और अगरबत्ती सहित अन्य पूजा की सामग्री बेचती नजर आएंगी। इसके लिए महिला कल्याण निगम और कन्नौज स्थित सरस और सुगंध विकास संस्थान (एफएफडीसी) के सहयोग से प्रयास शुरू किए गए हैं। मथुरा-वृंदावन के मंदिरों से निकलने वाले फूलों को इकट्ठा कर उनसे इत्र और अगरबत्ती सहित पूजा की सामग्री बनाने का काम इन विधवाओं को सिखाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को 'ब्रज सुगंधा' नाम दिया गया है।

गुरुवार को लखनऊ में महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में इसकी विधिवत शुरुआत हुई। प्रशिक्षण और मशीनों को लगाने सहित इस पूरे प्रोजेक्ट को एक साल तक चलाने के लिए सरकार ने 1.6 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है। मंशा यह है कि इस धन से एक साल तक प्रोजेक्ट गति पकड़े और फिर खुद संसाधन पैदा करे। 13 मार्च से शुरू होने वाले प्रशिक्षण के पहले चरण में इन विधवाओं में से चु¨नदा 100 को प्रशिक्षण किया जाएगा। एफएफडीसी के डायरेक्टर शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि मार्च से शुरू कर मई में प्रशिक्षण पूरा कर लिया जाएगा। इनमें से सबसे दक्ष 25 विधवा महिलाओं को उत्पादन के काम में लगाया जाएगा। प्रशिक्षण अवधि के बीच ही आश्रय सदन में मशीनों के लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा और मई के अंत या जून तक उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके लिए मथुरा और उसके आसपास के मंदिरों से निकलने वाले फूलों से ही उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे होने वाली आमदनी विधवा महिलाओं को मिलेगी।

- विधवा महिलाओं को मिलेगा मानदेय-

सरकार ने इस पूरी योजना को इस तरह तैयार किया है कि पहले एक साल तक इसे चलाने को लेकर किसी तरह का आर्थिक अवरोध सामने न आए। इसके लिए प्रशिक्षित विधवा महिलाओं को 6000 रुपये तक का मानदेय भी दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रोजेक्ट को चलाने के लिए कुछ तकनीकी लोगों को भी रखा जाएगा ताकि इत्र आदि बनाने की मशीनों का सही से संचालन हो सके। एफएफडीसी की भूमिका इस प्रोजेक्ट में तकनीकी सपोर्ट की होगी।

-ब्रजगंधा प्रसार समिति बनेगी-

इस प्रोजेक्ट को गति देने के लिए डीएम की अध्यक्षता में ब्रजगंधा प्रसार समिति का गठन किया गया है। इसमें 15 से लेकर 20 तक सदस्य होंगे। पर्यावरण, न्याय विभाग, महिला समाज कल्याण सहित कई विभागों की इसमें भागीदारी रखी गई है।


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