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खारे पानी से हारीं, मानागढ़ी की पनिहारी

जिले की सीमा लांघ ला रहीं पीने का पानी सांसद के गोद लिए गांव में पानी का संकट

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jun 2019 12:34 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 06:25 AM (IST)
खारे पानी से हारीं, मानागढ़ी की पनिहारी

सुरीर(मथुरा),अभय गुप्ता। नौहझील विकास खंड के गांव मानागढ़ी में पेयजल का संकट है। ग्रामीण दूसरे जिले की सीमा से पानी भरकर लाने के लिए मजबूर हैं। यहां का भूमिगत पानी खारी है। गांव मानागढ़ी मथुरा सीमा का अंतिम गांव हैं, जो अलीगढ़ सीमा से सटा हुआ है। खारी पानी होने से यहां के ग्रामीण पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं। बैलगाड़ी, भैंसा गाड़ी और ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर सुबह-शाम ग्रामीण पानी भरने के लिए ड्रम लादकर ले जाते हैं।

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मानागढ़ी से करीब दो किलोमीटर दूर अलीगढ़ जिले के गांव जैदपुर और घांघोली से पीने के लिए पानी ला रहे हैं। करीब चार दशक पहले यहां मीठा पानी था। यमुना किनारे बसे इस गांव के जलस्त्रोत बदल गए और पानी खारी हो गया है, जो अब पीने के योग्य नहीं रहा है। भूजल लगातार नीचे खिसक रहा है। यहां तक कि गांव के तालाब भी सूख गए हैं। जल निगम ने पेयजल सप्लाई के लिए वर्ष 1982-83 ओवर हैड टैंक का निर्माण कराया था, जो कुछ दिन बाद ही जल निगम की यह योजना विफल हो गई। एक दशक पहले स्वजलधारा योजना में दूसरी टंकी का निर्माण कराया गया, लेकिन उससे आधी आबादी को पानी मिल पा रहा है। इसकी बोरिग भी अब खारी पानी उगल रही है। सांसद हेमामालिनी ने पिछले कार्यकाल में इस गांव को गोद लिया था। अपनी निधि से टंकी के निर्माण के लिए दो करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए, लेकिन अभी गांव में मीठे पानी के स्त्रोत नहीं मिले हैं। इसलिए निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है।

- सुभाष नौहवार, सामाजिक कार्यकर्ता। गांव में करीब चार दशक पहले मीठा पानी था, लेकिन स्त्रोत खारे पानी में बदल गए। गांव में भूजल खारा हो चुका है। अब ग्रामीणों के साथ साथ पशुओं के लिए भी पीने के लिए पानी नहीं है।

- चेतराम महाशय, ग्रामीण। सुबह उठते ही पहले पानी लाते हैं।

गर्मी में पानी की अधिक जरूरत पड़ती है। इसलिए सुबह जागते ही ग्रामीण पहला काम पानी लेने के लिए अलीगढ़ की तरफ निकल पड़ते हैं।

- रविकरन सिंह, ग्रामीण। करीब पांच साल पहले जब वह ससुराल आई तो उनको पता चला कि यहां पानी का बड़ा संकट है। घरेलू कार्य करने से पहले उनको पानी का इंतजाम करना पड़ता है। इसके लिए वह रोजाना बुग्गी लेकर जाती हैं।

- प्राची चौधरी, गृहणी।


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