Move to Jagran APP

इस तरह तो रेगिस्तान बन जाएगा ब्रज

मथुरा: जिस गति से जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उस गति से पानी की बचत न की गई तो आने वाले समय में पानी की किल्लत हो जाएंगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 02:36 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 02:36 PM (IST)
इस तरह तो रेगिस्तान बन जाएगा ब्रज

जागरण संवाददाता, मथुरा: जिस गति से जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उस गति से पानी की बचत नहीं की जा रही है। औसतन 36 से लेकर 50 सेमी सालाना भूमिगत जल नीचे खिसक रहा है। नौहझील, राया, बलदेव और फरह विकास खंड डार्क जोन घोषित कर दिए गए हैं। मथुरा और चौमुहां डार्क जोन के मुहाने पर खड़ा हुआ है। जल संरक्षण की दिशा में तेजी से काम नहीं किया गया तो आने वाले एक दिन ब्रज रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा।

loksabha election banner

ब्रज के दो हिस्सों में बांटती हुई यहां होकर यमुना नदी बह रही है। ओखला बैराज से आगरा कैनाल और अपर गंगा कैनाल के देहरा से निचली मांट ब्रांच निकली है। दोनों नहरों के अलावा गंदे नाले बहते हैं। इनमें कोसी ड्रेन और गोवर्धन ड्रेन प्रमुख है। कोसी ड्रेन का पानी काला है, जबकि गोवर्धन ड्रेन सूखी पड़ी है। बरसाती पानी यमुना में गिर रहा है। उसके रोकने के लिए कोई इतंजाम नहीं है। कुंड और तालाब सूख रहे हैं। पिछले साल औसत वर्षा का 54 फीसद पानी बरसा था। इसलिए तालाब भी नहीं भर पाए थे। निचली मांट ब्रांच और अपर आगरा कैनाल के तीन दर्जन से अधिक राजवाह और माइनर की टेल मिट गई है। यही कारण है कि गांवों तालाबों में भी नहरों से लबालब नहीं हो पा रहे हैं। जल संरक्षण के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है।

तालाब पाटे, घटा पानी:

तालाबों को पाट दिए जाने से वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। जिले में 399 तालाब और 288 कुंड है। इनसे वाटर रिचार्ज होता था, लेकिन अब इनके सिल्ट जमा हो गई। इसलिए इनसे वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। इन तालाबों की चिकनी मिट्टी की सफाई करके रेत डाल कर इनको भरवाया जाए। इनको मानसूनी बरसात से भरा जाए। इससे वाटर रिचार्ज होगा।

अमृत है शीतकालीन वर्षा: शीतकालीन वर्षा लगातार होने से भूमिगत जल का दोहन कम होगा। नवंबर से लेकर मार्च के पहले सप्ताह तक गेहूं की ¨सचाई होती है। जबकि फरवरी के अंत तक आलू के खेतों की सींच भी किसान करते हैं। सरसों की ¨सचाई दिसंबर में होती है। जिले में नहरों से चालीस फीसद एरिया ¨सचित किया जा रहा है। शेष भाग की ¨सचाई किसान ट्यूबवेल से कर रहे हैं। अगर इन महीनों में बरसात होती है, फिर किसानों को ¨सचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए भूमिगत जल का दोहन कम हो जाएगा।

खंडवार भूगर्भ जल की स्थिति:

-खंड- 2008-2011-2018

-बलदेव-5.20-12.20-7.21

-छाता-3.55-3.80-5.48

-चौमुहां-4.65-3.93-5.45

-फरह-5.20-6.05-7.30

-गोवर्धन-5.90-4.35-5.88

-मांट-11.76-16-16.61

-मथुरा-5.43-6.60-6.20

-नंदगांव-5.03-5.80-9.23

-नौहझील-7.23-11.22-12.85

-राया-10.29-11.05-12.10 (भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार)

--औसतन भूगर्भ जल में आ रही गिरावट 36 सेमी प्रति वर्ष

--वाटर रिचार्ज--98781.47-- हेक्टेयर मीटर

--भूजल दोहन--15896.80 हेक्टेयर मीटर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.