विप्र महाकुंभ ने उड़ाई संघ और सरकार की नींद
महाकुंभ पर नजर गड़ाए रहे संघ और सरकार
जागरण संवाददाता, वृंदावन: भाजपा और उसके दूसरे घटक संगठनों के विप्र नेताओं ने महाकुंभ की धार भौंथरी करने की पूरी कोशिश की। विप्र संगठन के भाजपा से कहीं न कहीं जुड़े कुछ पदाधिकारी भी सम्मेलन से छिटके। बुधवार को हुए इस आयोजन से साफ हो गया कि एससी-एसटी एक्ट के विरोध में अन्य सवर्णों से ज्यादा विप्र समाज खफा है। इससे सरकार और आरएसएस की नींद उड़ गई है।
विप्रों के इस आयोजन पर सरकार सहित सत्ता दल से जुड़े घटक संगठनों की पूरी नजर थी। आयोजकों के साथ विप्रों के दूसरे संगठनों को भी इससे दूर रखने के लिए उसने बड़ी मेहनत की। संघ के विप्र संगठनों से जुड़े स्वयंसेवक महाकुंभ से पहले अपने स्वर मुखर करते नजर आए। महाकुंभ में खुफिया निगाहें और भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी चौंकाने वाली रही। आयोजक भी बार-बार मंच से जिले के एंट्री प्वांइट्स पर महाकुंभ में आ रहे वाहनों को रोके जाने की जानकारी दे रहे थे। जाहिर है अप्रत्यक्ष रूप से आयोजन को विफल करने के प्रयास भी हुए।
महाकुंभ में ब्रजमंडल समेत राजस्थान, हरियाणा व मध्यप्रदेश के विप्र संगठन भी शामिल हुए। आज से पहले और महाकुंभ की तैयारियों के बाद जब आयोजकों ने विप्रों से जुड़ी समस्याओं के साथ एससी-एसटी एक्ट पर अपना विरोध जताना शुरू किया और इसे मिले समर्थन से आरएसएस समेत सत्ताधारी दल में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई। शुरूआती दिनों में आयोजन से जुड़े आरएसएस के स्वयंसेवकों की महाकुंभ में गैर मौजूदगी के पूरे प्रयास किए गए थे।