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ब्रज सजाने आया हूं, बेचने नहीं: विनीत नारायण

जागरण संवाददाता, मथुरा: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले विनीत नारायण पत्रकारिता छोड़

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Sep 2017 11:49 PM (IST)Updated: Fri, 22 Sep 2017 11:49 PM (IST)
ब्रज सजाने आया हूं, बेचने नहीं: विनीत नारायण
ब्रज सजाने आया हूं, बेचने नहीं: विनीत नारायण

जागरण संवाददाता, मथुरा: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले विनीत नारायण पत्रकारिता छोड़ने के बाद अपनी पैतृक भूमि ब्रजधरा पर स्थित कृष्ण की लीलास्थलियों को सजाने-संवारने में जुटे हैं। पिछले 15 सालों में उनका 'द ब्रज फाउंडेशन' 60 लीलास्थलियों को संवार चुका है। उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से भी इन्कार किया।

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विनीत नारायण का कहना है कि पत्रकारिता के जरिए भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर करने के दौरान जिस पीड़ा से गुजरा, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मुझ पर न्यायालय की अवमानना का मामला चला। मैं विदेश चला गया। इसके बाद पत्रकारिता से विरक्ति हो गई। थोड़े समय के अवसाद के हालात के दौरान ब्रज आने पर बरसाना के विरक्त संत रमेश बाबा से संपर्क हुआ। फिर श्रीजी की प्रेरणा से 15 वर्ष पूर्व कृष्ण की लीलास्थलियों को संवारने में जुट गया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में साधन नहीं थे, लेकिन समस्याओं से जूझने की आदत के चलते वर्ष 2005 में द ब्रज फाउंडेशन बनाया। कुछ उत्साही आइआइटियन और विशेषज्ञों का साथ मिला। कमल मोरारका, मफतलाल जैसे दोस्तों से मदद मांगी। सबसे पहले बृषभानु कुंड को संवारने का काम किया।

कुछ लोगों के इस आरोप पर कि उनका फाउंडेशन कुंडों के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ कर रहा है, विनीत कहते हैं कि ऐसे आरोप वह लोग लगाते हैं, जिन्हें कुंडों के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। हम कुंडों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के अध्ययन के साथ उस इलाके की हाइड्रोलिक स्टडी भी करते हैं। कुंडों को संवारने के बाद उन्हें निजी जायदाद की तरह इस्तेमाल करने के आरोप पर विनीत का कहना था कि कई बार इस तरह के आरोपों की जांच हो चुकी है और हर बार ये गलत साबित हुए हैं। सभी कुंडों को संवारने में विशेषज्ञों की मदद ली जाती है।

वास्तविकता यह है कि बीते 15 साल में 20 करोड़ रुपये खर्च करके 60 लीला स्थलियों को हमारी संस्था संवार चुकी है। संस्था को 1650 स्थलियों का विकास करना है और यह काम जारी है। एक अप्रैल 2002 से अब तक विदेशी भक्तों से 18 लाख रुपये संस्था को प्राप्त हुए, जिनमें से 9.75 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सारा लेनदेन ऑनलाइन होता है।

इस समय आन्यौर स्थित संकर्षण कुंड को संवारने का काम किया जा चुका है, जिसमें कभी पूरे गांव का कचरा पड़ रहा था। वज्रनाभ के समय इसका उद्धार हुआ, तो यहां से बलदाऊ की मूर्ति मिली, जो आन्यौर गांव में ही स्थापित है। गांव के लोगों ने उनसे आग्रह किया, तो इस कुंड का उद्धार कर संकर्षण भगवान की प्रतिमा लगाई गई। तीन से पांच अक्टूबर तक समारोह कर इसका अभिषेक किया जाएगा। इसमें देश भर से लोग आएंगे।

ब्रज विकास परिषद के सवाल पर विनीत ने कहा कि इसका ड्राफ्ट अखिलेश यादव की सरकार में द ब्रज फाउंडेशन ने ही तैयार किया। इसके लिए मैने वैष्णो देवी और तिरुपति जाकर वहां की परिषदों का अध्ययन किया। फिर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ मी¨टग करने के बाद परिषद का ड्राफ्ट तैयार कर तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन को दिया। नई सरकार में इस ड्राफ्ट में संशोधन का काम भी फाउंडेशन ने किया।

केंद्र सरकार की हृदय योजना को लेकर उठे विवाद पर विनीत नारायण भावुक हो गए। बोले- मैं ब्रज सजाने आया हूं, उसे बेचने नहीं। हृदय योजना में हमारी संस्था की भूमिका एंकर की है। यानि हम काम किस तरह कराए जाने हैं, उसका निर्देश देते हैं। अगर डीपीआर में कोई चीज ब्रज की संस्कृति से मेल नहीं खाती, तो उसे बदलने को कह सकते हैं। हमारे साथियों पर अभद्रता करने के आरोप भी लगे। मैं कहना चाहता हूं कि मेरे परिवार में दसियों आइएएस हैं, वरिष्ठ राजनयिक हैं। किसी से ऊंची आवाज में बात करने के हमारे संस्कार नहीं हैं। हम ब्रज की सेवा करने आए हैं, बस।


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