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गूल की खुदाई कर दो हजार तालाब होंगे जलमग्न

गिरते जल स्तर को सुधारने के लिए की जा रही है कवायदगत वर्षों में जहां भरे थे तालाब वहां डेढ़ फीट जलस्तर में है सुधार।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:47 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:47 AM (IST)
गूल की खुदाई कर दो हजार तालाब होंगे जलमग्न
गूल की खुदाई कर दो हजार तालाब होंगे जलमग्न

जागरण संवाददाता, मथुरा: लगातार गिर रहे जल स्तर में सुधार के लिए शुरू की गई कवायद रंग लाने लगी है। अब जिले भर में चिन्हित किए गए 2015 तालाबों को पूरी तरह से जलमग्न किया जाएगा। इसके लिए लघु सिचाई विभाग की ओर से 45 हजार किमी लंबी गूल की खुदाई का कार्य शुरू कर दिया है। अब तक करीब 150 किमी गूल की खुदाई भी कर दी गई है।

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लघु सिचाई विभाग के अधिकारियों ने भारत सरकार के सहयोग से जिले भर के तालाबों की सेटेलाइट के माध्यम से मेपिग का कार्य किया गया, जिसके तहत किस तालाब को किस नहर से जोड़ना हैं, कितनी लंबी खुदाई होनी है। इसको लेकर सर्वे का कार्य किया, जिसके माध्यम से यह स्थिति साफ हो पाई है कि जिले के हर एक तालाब तक पानी पहुंचाने के लिए 45 किमी लंबी गूल की खुदाई की जाएगी। यह गूल अलग-अलग गांव और अलग-अलग नहरों से जुड़ेगी। अभी तक लघु सिचाई विभाग ने करीब 150 किमी लंबी गूल की खुदाई पूरी कर दी है।

248 तालाबों पर किया गया था प्रयोग

गत वर्ष जिले में 248 तालाबों की खुदाई की गई थी। इसके बाद इनमें पानी भरा गया था। पानी भरने से पहले सूखे पड़े इन तालाबों का जलस्तर नापा गया था। एक साल के बाद फिर जब जलस्तर को नापा गया तो करीब डेढ़ फीट जलस्तर में सुधार दर्ज किया गया। इसके बाद निर्णय लिया गया है कि अब जिले के सभी तालाबों में पानी भरा जाएगा, जिसके तहत 200 से अधिक तालाबों तक पानी पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया है।

पूर्व में थी गूल, वर्तमान में गायब

लघु सिचाई विभाग अधिकारियों का कहना है कि जिले में एक भी ऐसा तालाब नहीं है, जिस तक नहर से लेकर गांव के तालाब तक गूल न हो। राजस्व अभिलेखों तथा सैटेलाइट से देखने पर वह अभी भी साफ दिखती हैं, लेकिन किसानों ने अब गूल को अपने-अपने खेत में जोत लिया है, जिसकी वजह से मौके पर गूल गायब हैं। अब अभिलेखों के माध्यम से गायब हुई गूलों को तलाशा जा रहा है।


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