व्यापारी बोले, ऊंट के मुंह में जीरा है रेपो रेट घटाना
संवाद सहयोगी मथुरा कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में सब बंद होने से अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। इससे ग्लोबल मैन्युफैक्चरिग ईएमआइ घटकर 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसे पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की।
संवाद सहयोगी, मथुरा : कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में सब बंद होने से अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। इससे ग्लोबल मैन्युफैक्चरिग ईएमआइ घटकर 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसे पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। अब रेपो रेट 0.40 फीसद घटा दी, लेकिन व्यापारी वर्ग इससे खुश नहीं है। उसका कहना है कि रेपो रेट घटाना, ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। इस कटौती से अब रेपो रेट चार फीसद पर आ गई है। रेपो रेट में कटौती से बैंक भी लोन पर अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। व्यापारियों का कहना है कि उन्हें और रियायतों की उम्मीद थी, लेकिन निराशा हाथ लगी। कहते हैं व्यापारी
आरबीआइ द्वारा रेपो रेट 40 पैसे की कटौती व ईएमआइ को तीन महीने आगे बढ़ाने का सरकार का फैसला सराहनीय है। इससे निश्चित ही बाजार में पैसे की तरलता आएगी और जल्द ही बाजारों में पहले जैसी रौनक दिखाई देगी।
-अमित जैन, बोर्ड मेंबर, उत्तर प्रदेश होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन किसी भी प्रकार की दरों में कटौती करके सरकार व्यापारी या मध्यम वर्ग को जो राहत देना चाहती है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यदि सरकार सही मायने में राहत देना चाहती है तो सीधे तौर पर ब्याज में छूट देकर कर सकती है।
-अजय गोयल, जिला महामंत्री, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल उद्योग जगत को इससे कोई खास लाभ नहीं मिलने वाला। सरकार को साड़ी उद्योग को राहत पहुंचाने के लिए कोई प्रोत्साहन पैकेज देना चाहिए, जिससे व्यापार भी पटरी पर नहीं आ सके, लुभावने पैकेज के बदले सरकार को व्यापारिक हित में निर्णय लेने चाहिए।
-वरुण अग्रवाल, साड़ी उद्योगपति आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती व ईएमआइ चुकाने में दी गई छूट को तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया है। इससे मध्यम वर्ग को खास राहत नहीं मिलेगी। सरकार यदि बैंक की ब्याज पर छूट देती तो लोगों के लिए इसका अधिक फायदा मिलता।
अंकित बंसल, होटल व्यवसायी