श्वेतक्रांति से पेश की मुनाफे की नजीर
80 बरस के जयदेव सारस्वत डेयरी फार्म में पाल रहे 60 गोवंश उद्यम तीन सौ लीटर प्रतिदिन दूध की बिक्री से होती आठ हजार की आय डेयरी फार्म की नौकरी से सेवानिवृत्त के बाद श्वेतक्रांति का बीड़ा उठाया
बांकेलाल सारस्वत, महावन (मथुरा) : जयदेव सारस्वत। 80 वसंत देख चुके वह शख्स जो गोपाल की नगरी में श्वेतक्रांति लाने में जुटे हैं। गोवंश की सेवा और उससे परिवार की आर्थिक तरक्की का जो रास्ता जयदेव ने देखा, उससे कइयों ने सीख ली। जयदेव ने 35 बरस तक डेयरी फार्म पर नौकरी की। जब सेवानिवृत्त हुए तो श्वेतक्रांति का बीड़ा उठा लिया। दूध बेचकर घर में न केवल खुशियों की गंगा बहाई, दूसरों के लिए मुनाफे की नई नजीर बन गए।
महावन तहसील के कारब गांव में रहने वाले जयदेव सारस्वत पंत नगर यूनिवर्सिटी के पशु अनुसंधान संस्थान में अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त हुए तो खेती-बाड़ी देखने लगे। पूरी नौकरी डेयरी फार्म पर की, इसलिए सोचा गोवंश का पालन कर डेयरी ही खोली जाए। उनके सपनों को पशु चिकित्सक बेटे केके सारस्वत ने पंख दिए। 2016 में 25 दुधारू गाय खरीदकर लाए। डेयरी खोलकर उससे दूध का कारोबार करने लगे। प्रतिदिन तीन सौ लीटर दूध का उत्पादन करने लगे। दूध बेचने के लिए पराग डेयरी से संपर्क किया। पराग डेयरी के कर्मचारी प्रतिदिन सुबह-शाम घरपर जयदेव से दूध खरीदते हैं। जयदेव बताते हैं कि प्रतिदिन की दूध बिक्री से करीब आठ से नौ हजार रुपये मिल जाते हैं।
डेयरी में रखे 60 गोवंश
जयदेव सारस्वत के डेयरी फार्म में 60 गोवंश हैं। इनमें 24 गायें दूध दे रही हैं, बाकी बछिया हैं। जयदेव ने डेयरी फार्म में तकनीक का भी इस्तेमाल किया। पुणे की लैब से फीमेल सेक्स सीमेन लिया। लैब ने 6 मार्च 2018 में पहली बार जयदेव की डेयरी पर ही सेक्स सीमेन से बछिया पैदा कराई। सेक्स सीमेन के जरिए ही गोवंश का कुनबा बढ़ा। अपनी साढ़े छह एकड़ जमीन पर डेयरी चला रहे जयदेव बताते हैं कि 60 गोवंश पर प्रतिदिन करीब 800 हजार रुपये का खर्च आता है, जबकि 24 गाय दूध दे रही हैं। इनके दूध और रोज के खर्च में महज सात से आठ सौ रुपये की ही बचत होती है। अगले दो साल में सभी बछिया दूध देने लगेंगी, इससे दूध का उत्पादन बढ़ेगा और तब रोज की बचत 12 से 15 हजार रुपये हो जाएगी। चार को मिला रोजगार, कई हुए लाभान्वित
बीए तक पढ़ाई करने वाले जयदेव की डेयरी में चार मजदूर काम करते हैं। गाय से दूध मशीनों द्वारा निकाला जाता है। वह कहते हैं कि गांव में डेयरी पर काम करने के लिए मजदूर नहीं मिलते हैं। ऐसे में शुरुआत में दिक्कत आई। फिर चारे के लिए चार मजदूर रखे और दूध निकालने के लिए मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इससे समस्या का समाधान हो गया। जयदेव बताते हैं कि उनका काम और मुनाफे की बेहतर उम्मीद देख आसपास के गांवों के किसान भी जागरूक हो रहे हैं। पशु पालन के प्रति किसान गंभीर होने के साथ ही फीमेल सेक्स सीमेन को भी लेकर जागरूक हुए हैं। एक दर्जन पशुपालकों ने सेक्स सीमेन के जरिए बछिया पैदा कराने की पहल की है। इसके बेहतर रिजल्ट मिले हैं। तब दिल्ली में किसानों
को किया था जागरूक
पशुपालन के क्षेत्र में काम करने और बेहतर परिणाम आने पर सेक्स सीमेन का काम करने वाली पुणे की कंपनी जयदेव सारस्वत को दिल्ली में आयोजित सेमिनार में बुलाया। यहां जयदेव ने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली समेत कई राज्यों के पशुपालकों को डेयरी फार्म के फायदे बताए। इस दौरान बेहतर काम के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। बागवानी में तीन लाख की कमाई
जिस जमीन पर जयदेव ने डेयरी फार्म खोला है, उसी में बागवानी भी करते हैं। उन्होंने डेयरी फार्म के किनारे नींबू, मौसमी, आंवला और बेल के पेड़ लगाए हैं। वह कहते हैं कि लोग हर साल पूरा का पूरा बाग खरीद लेते हैं। इससे उन्हें हर साल करीब तीन लाख रुपये की आय होती है। जबकि पेड़ों की निराई-गुड़ाई में करीब पचास हजार का खर्च आता है। बेटों को भी बनाया काबिल
जयदेव सारस्वत के तीन बेटे हैं। एक बेटे केके सारस्वत पशु चिकित्सक हैं, तो दूसरे डॉ. लक्ष्मीकांत मेरठ की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। तीसरे बेटे पंत नगर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं।