Move to Jagran APP

श्रद्धा के समंदर में चलीं भक्ति की लहरें, तोड़ी लॉकडाउन की दीवार

रसिक शर्मा गोवर्धन ये गिरिराज महाराज के प्रति असीम आस्था है। जिस गोवर्धन पर्वत को कान्हा ने अपनी अंगुली पर उठाया था उनकी परिक्रमा करने को हर ब्रजवासी बेताब रहता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 12:11 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 12:11 AM (IST)
श्रद्धा के समंदर में चलीं भक्ति की 
लहरें, तोड़ी लॉकडाउन की दीवार
श्रद्धा के समंदर में चलीं भक्ति की लहरें, तोड़ी लॉकडाउन की दीवार

रसिक शर्मा, गोवर्धन : ये गिरिराज महाराज के प्रति असीम आस्था है। जिस गोवर्धन पर्वत को कान्हा ने अपनी अंगुली पर उठाया था, उनकी परिक्रमा करने को हर ब्रजवासी बेताब रहता है। इनकी दिव्यता आंकने का कोई मानक नहीं है। ये भक्त और भगवान के बीच अटूट रिश्ता है। श्रद्धा के समंदर में भक्ति की लहरें मचलीं तो लॉकडाउन की दीवार भी टूट गई। लॉकडाउन में गोवर्धन परिक्रमा पर रोक लगी, लेकिन एक सप्ताह ही ये लॉकडाउन भक्तों को रोक पाया। परिक्रमार्थियों के दिलों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा तो मुख्य मार्ग को छोड़ जंगल के रास्ते गिरिराज महाराज की सात कोसीय परिक्रमा कर अपनी भक्ति की प्यास बुझाई। हां, इस दौरान शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखा जाता है। पर्वतराज की परिक्रमा सात कोस यानी 21 किमी की है। परिक्रमा मार्ग का करीब डेढ़ किमी का भाग राजस्थान सीमा से होकर गुजरता है। सरकार ने परिक्रमा करने पर रोक लगाई, तो रोज परिक्रमा करने वाले भक्त बेचैन हो गए। ये गिरिराज जी के प्रति आस्था ही है कि तमाम संत और भक्त रोज परिक्रमा कर अपनी भक्ति की प्यास बुझाते हैं। रात में भी दिन का अहसास कराने वाली ये नगरी लॉकडाउन में सन्नाटे में रहने लगी। लेकिन भक्तों के कदम परिक्रमा को बहुत दिन तक न रुक सके। जंगलों से गुजरने वाले कच्चे मार्ग से परिक्रमा लगाकर भक्त और भगवान के बीच आ रही लॉकडाउन की दीवार को गिराकर आस्था का सफर पूरा किया। दरअसल, गिरिराज महाराज की परिक्रमा के दो रास्ते हैं। एक रास्ता तो वह है जिस पर सड़क बनी और जिस पर प्रशासन की नजर रहती है। दूसरा रास्ता और है जो बिल्कुल तलहटी में सघन वृक्षों के बीच से गुजरता है। इस मार्ग पर कच्ची मिट्टी होने के कारण जानकार श्रद्धालु परिक्रमा लगाने के लिए इसी मार्ग को चुनते हैं। कच्चे मार्ग में रोशनी का कोई इंतजाम नहीं है। पेयजल के नाम पर मीलों दूर तक हैंडपंप और प्याऊ दिखाई नहीं देती। लेकिन ये मुश्किल भी भक्तों को नहीं रोक पाती। का‌िर्ष्ण आश्रम के सामने से शुरू होकर यह मार्ग आन्यौर, पूंछरी, जतीपुरा होकर गोवर्धन में निकलता है। 21 किमी इस मार्ग में अलग से बना नौ किमी का कच्चा मार्ग प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरा है। करीब दो दर्जन से अधिक भक्त रोज नियमित रूप से यहां परिक्रमा कर रहे हैं। इस दौरान शारीरिक दूरी का पूरा पालन किया जाता है। नियमित परिक्रमा कर रहीं कस्बे की ममता शर्मा, रेनू कौशिक, मनोज लंबरदार कहते हैं कि गिरिराज महाराज के प्रति हमारी आस्था है। परिक्रमा से सारे व्यवधान दूर होंगे। हम एक भी दिन परिक्रमा नहीं लगाते, तो लगता है कि अच्छा नहीं हुआ। कस्बे के विष्णु कहते हैं कि हम प्रतिदिन परिक्रमा कर रहे हैं। लेकिन शारीरिक दूरी का पूरी तरह पालन करते हैं।

loksabha election banner

बॉक्स

दिन में तीन परिक्रमा

आस्था ऐसी है कि करीब एक दर्जन संत दिन में तीन बार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाते हैं। सुबह से शुरू होने वाली परिक्रमा दिन भर चलती है। रास्ते में ही वह भिक्षा मांगकर पेट भरते हैं। चेतन दास चैतन्य, श्याम सुंदर और गुटिया बाबा कहते हैं कि हमें तो गिरिराज महाराज से वास्ता है। हमारे कदम कोई भी नहीं रोक सकता है। जब तक परिक्रमा नहीं करते, तब तक सुकून नहीं मिलता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.