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हमारे हारने का समय अब गया: भागवत

संतों के बीच पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भले ही सीधे रूप से भले ही चुनाव पूर्व किए वादे और इरादे पर स्पष्ट भले ही कुछ नहीं कहा। लेकिन इशारों में ही संतों की हर बात को पूरा करने का भरोसा दे गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 11:31 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 06:25 AM (IST)
हमारे हारने का समय अब गया: भागवत

वृंदावन (मथुरा), जागरण संवाददाता। संतों के बीच पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भले ही सीधे रूप से भले ही चुनाव पूर्व किए वादे और इरादे पर स्पष्ट भले ही कुछ नहीं कहा। लेकिन इशारों में ही संतों की हर बात को पूरा करने का भरोसा दे गए। भागवत ने कहा अब हमारा हारने का समय गया। हमें धैर्य रखना होगा, हारते-हारते सदियां बीत गईं। अब हिदुत्व को मजबूती देने का समय आ गया है।

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वंशीवट स्थित सुदामा कुटी में सोमवार को संत सुदामा दास महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित संत एवं विद्वत संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संघ प्रमुख के समक्ष संतों ने चुनाव पूर्व किए वादे राममंदिर निर्माण, कश्मीर से धारा 370 एवं 35 ए हटाने का वादा याद दिलाया। तो संघ प्रमुख ने भी देर किए संतों को भरोसा दिया कि अब समय आ गया है जो कहा सब होगा। उन्होंने संस्कृत भाषा के उत्थान का आह्वान करते हुए आचार्यों व संतों से कहा भारत में संस्कृत का उत्थान होगा तो हिदू राष्ट्र के रूप में देश का उत्थान होगा। कहा आज समय आ गया है जबकि मिजोरम में मिजो भाषा में श्रीमद्भागवत और रामायण का रूपांतरण हो रहा है, ये हमारी संस्कृति का ही प्रभाव है कि अब विदेशी भी संस्कृत की ओर आकृष्ट हो रहे हैं। कहा हमें विजय के विजन को अपने पास रखना है, हिरण्यकश्यपु और भक्त प्रह्लाद का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा शक्ति पर भक्ति की हमेशा जीत होती है। भारत में भक्ति को जागृत करना है। हमने दुनिया को बहुत कुछ दिया है, लेकिन लिया कुछ नहीं। वर्तमान में भले ही पाश्चात्य का कुछ प्रभाव देखने को मिल रहा है। लेकिन अब समय परिवर्तित होने लगा है।

भागवत ने कहा भारत की विशेषता है आत्मीयता। यहां लोग आत्मीयता के साथ अपना प्रभाव छोड़ते हैं और इसी के साथ रहते हैं। विदेश में कितना भी बढ़ा सारे सुखों को प्राप्त व्यक्ति भी रात को नींद की गोली खाकर ही सोता है। लेकिन भारत में एक ठेल वाला रात होती है तो अपनी ठेल पर ही बिछौना बनाकर गहरी नींद लेता है। ऐसा है हमारे देश का गौरव। उन्होंने संत सुदामा दास के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस तरह संत सुदामा दास से सुदामा कुटी की स्थापना के साथ समाजसेवा के प्रकल्प शुरू किए, आज भी संचालित है। इससे स्पष्ट होता है कि संत सुदामा दास आज भी तात्विक शरीर के साथ यहां विद्यमान हैं। जिस प्रकार से श्रीराम और श्रीकृष्ण सदियों बाद आज भी देश में विद्यमान हैं, संत भी विद्यमान रहते हैं।

संगोष्ठी में विहिप के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री दिनेशजी ने संत संत सुदामा दास के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्हें ब्रज की महान विभूति बताया। इससे पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ठाकुर कौशलकिशोर महाराज के दर्शन कर पूजा अर्चना की तथा गोशाला पहुंचकर गोपूजन भी किया। संगोष्ठी में डॉ. स्वामी राघवाचार्य, स्वामी ज्ञानानंद, अयोध्या की छोटी छावनी के महंत स्वामी कमलनयन दास, पीपाद्वाराचार्य बलरामदेवाचार्य, रामानंद दास, रामबालक दास, नवलकिशोर दास, महंत फूलडोल बिहारीदास, महंत अमरदास, स्वामी जगदानंद, डॉ. मनोजमोहन शास्त्री, महामंडलेश्वर रामशरण दास समेत अनेक संत, महंत और महामंडलेश्वरों ने संगोष्ठी को संबोधित किया। संचालन सुदर्शन दास ने तथा धन्यवाद ज्ञापन महंत सुतीक्षदास महाराज ने किया।


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