नैतिक मूल्य बचाने का जिम्मा कलमकार का: गोविद
पुस्तक जीवन का अहम हिस्सा हैं और भावी पीढ़ी में संस्कार और नैतिक मूल्य बचाने का जिम्मा आज भी इनके कंधों पर है। इस दायित्व को निभाने वाले लेखक नैतिकता और विषय की प्रासंगिकता तथा औचित्य पर गंभीरता से विचार करें। पुस्तक लिखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है विषय औचित्य व दायित्व जो कि सर्वाधिक जरूरी है।
वृंदावन (मथुरा), जागरण संवाददाता। पुस्तक जीवन का अहम हिस्सा हैं और भावी पीढ़ी में संस्कार और नैतिक मूल्य बचाने का जिम्मा आज भी कलमकार कंधों पर है। इस दायित्व को निभाने वाले लेखक नैतिकता, विषय की प्रासंगिकता तथा औचित्य पर गंभीरता से विचार करें। पुस्तक लिखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है विषय, औचित्य व दायित्व जो कि सर्वाधिक जरूरी है।
कृष्ण साधक ट्रस्ट में आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के 44 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में शनिवार को यह बात नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. गोविद प्रसाद शर्मा ने कही। कहा लेखक जनता की धड़कन बनें। संवेदनशीलता का स्तर बढ़ाएं और समाज के लिए कल्याणकारी लेखन में जुटे रहें।
अधिवेशन में मुख्य वक्ता पद्मश्री योगेंद्र ने कहा कलम चलाना भी साधना है और इसके माध्यम से लेखक समाज के संघर्ष और कुंठा को शब्दों में ढालकर प्रस्तुत करता है। आज के दौर में लेखन व्यापार बन रहा है। जरूरत है कि कलमकार स्वांत: सुखाय वृत्ति को छोड़ समाज को सुखमय बनाने में चेतना और जागरूकता पैदा करें। समारोह में डॉ. अहिल्या मिश्र, शोरतर कार्तिकेयन ने भी विचार रखे। अतिथियों का स्वागत करते हुए गिल्ड की योजना संयोजक डॉ. अमी आधार निडर ने बताई तथा संचालन प्रो. शिवशंकर अवस्थी ने किया। अतिथियों का स्वागत उद्यमी पवन चतुर्वेदी, डॉ. दिनेश पाठक, जितेंद्र विमल, डॉ. ऊषा दुबे, नरेंद्र परिहार, डॉ. प्रियंका सोनी, डॉ. किरन पोपकर, डॉ. धर्मराज, डॉ. निशेष जार, डॉ. कल्पना श्रीवास्तव, दीपक दीक्षित, डा. बीएल गौड़, डॉ. जनकराज जय, राजीव सक्सेना आदि ने किया। सरस्वती वंदना सुशील सरित ने की। व्यवस्थाओं में सहयोग चित्रांश, रजनीश, नीरज शास्त्री, अंकुर कुलश्रेष्ठ ने किया।
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